Book Title: Saraswati 1937 01 to 06
Author(s): Devidutta Shukla, Shreenath Sinh
Publisher: Indian Press Limited

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Page 630
________________ सरस्वती [भाग ३८ उर्दू दोनों को ही जीने का अधिकार प्राप्त है-यह अधि- हम एक बहुत खूबसूरत और बलवान् भाषा पैदा करेंगे, 'कार उन्हें अपने इतिहास से प्राप्त हुआ है। जिसमें जवानी की ताक़त हो और जो दुनिया की भाषात्रों श्री जवाहरलाल नेहरू के विचार में एक माकूल भाषा हो । कुछ दिन से फिर हिन्दी और उर्दू की बहस उठी है, यह बात होते हुए भी हमें याद रखना है कि भाषायें और लोगों के दिलों में यह शक पैदा होता है कि हिन्दी- ज़बरदस्ती नहीं बनतीं या बढ़तीं। साहित्य फूल की तरह वाले उर्दू को दबा रहे हैं और उर्दूवाले हिन्दी को । बगैर खिलता है और उस पर दबाव डालने से मुर्भा जाता है। इस प्रश्न पर गौर किये जोशीले लेख लिखे जाते हैं और इसलिए अगर हिन्दी-उर्दू अभी कुछ दिन तक यह समझा जाता है कि जितना हम दूसरे पर हमला करें अलग-अलग झुके, तो हमको उस पर एतराज़ नहीं करना उतना ही हम अपनी प्रिय भाषा को लाभ पहुंचाते हैं। चाहिए । यह कोई शिकायत की बात नहीं। हमें दोनों को लेकिन अगर ज़रा भी विचार किया जाय तो यह बिल- समझने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि जितने अधिक कुल फ़िज़ल मालूम होता है। साहित्य ऐसे नहीं बढ़ा शब्द हमारी भाषा में हों उतना ही अच्छा। करते। हिन्दी और हिन्दुस्तानी शब्दों पर बहुत बहस हुई है मेरा पूरा विश्वास है कि हिन्दी और उर्दू के मुक़ाबिले और ग़लत फ़हमियाँ फैली हैं। यह एक फ़िजूल की बहस से दोनों को हानि पहुँचती है। वह एक-दूसरे के सहयोग है। दोनों ही शब्द हम अपनी राष्ट्र-भाषा के लिए कह से ही बढ़ सकती है और एक के बढ़ने से दूसरे को भी सकते हैं, दोनों सुन्दर हैं और हमारे देश और जाति से फायदा पहुँचेगा। इसलिए उनका सम्बन्ध मुकाबिले का सम्बन्ध रखते हैं। लेकिन अच्छा हो, अगर इस बहस को नहीं होना चाहिए, चाहे वे कभी अलग-अलग रास्ते पर बन्द करने के लिए हम बोलने की भाषा को हिन्दुस्तानी क्यों न चले। दूसरे की तरक्की से ख़ुशी होनी चाहिए, कहें और लिपि को हिन्दी या उर्दू कहें । इससे साफ़-साफ़ क्योंकि उसका नतीजा अपनी तरक्की होगी। योरप में जब मालूम हो जायगा कि हम क्या कह रहे हैं । नये साहित्य (अँगरेज़ी, फ्रेंच, जर्मन, इटालियन) बढ़े तब सब साथ बढे, एक दूसरे को दबाकर और मुकाबिला मुसोलिनी स्वस्थ क्यों है ? करके नहीं। __मुसोलिनी का शारीरिक स्वास्थ्य बहुत अच्छा ___ हिन्दी और उर्दू का सम्बन्ध बहुत करीब का है, और है। इसका रहस्य क्या है ? इस सम्बन्ध में कुछ फिर भी कुछ दूर होता जा रहा है। इससे दोनों की हानि प्रश्नोत्तर 'प्रताप' में प्रकाशित हुए हैं, जो यहाँ होती है । एक शरीर पर दो सिर हैं और वे आपस में लड़ा उद्धृत किये जाते हैं। करते हैं। हमें दो बातें समझनी हैं और हालाँकि वह दो हाल में मुसोलिनी से कुछ प्रश्न किये गये थे बातें ऊपरी तौर से कुछ विरोधी मालूम होती हैं, फिर भी जिनका उत्तर देते हुए उन्होंने बतलाया है कि उनका उनमें काई असली विरोध नहीं है। एक तो यह कि हम स्वास्थ्य इतना अच्छा क्यों है। १९२५ से अब तक वे ऐसी भाषा हिन्दी और उर्दू में लिखे और बोलें जो कि एक दिन भी बीमार नहीं पड़े। उनसे प्रश्न किया गयाबीच की हो, और जिसमें संस्कृत या अरबी और फ़ारसी "क्या श्राप कोई नियमित भोजन किसी ख़ास मात्रा में ही के कठिन शब्द कम हों । इसी को आम तौर से हिन्दुस्तानी करते हैं ? यदि हाँ तो वह चीज़ क्या है ?" कहते हैं। कहा जाता है, और यह बात सही है कि ऐसी इसका उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि मैं शराब को बीच की भाषा लिखने से दोनों तरफ़ की खराबियाँ पा स्वास्थ्य के लिए हानिकर समझता हूँ। मैं शराब कभी जाती हैं, एक दोग़ली भाषा पैदा होती है जो किसी को नहीं पीता । मैं सिर्फ बड़े भोजों के अवसर पर ही थोड़ी-सी भी पसन्द नहीं होती और जिसमें न सौन्दर्य होता है, न शराब पीता हूँ, किन्तु विगत महायुद्ध के बाद से तो मैंने शक्ति। यह बात सही होते हुए भी बहुत बुनियाद नहीं सिगरेट कभी नहीं पी। रखती और मेरा विचार है कि हिन्दी और उर्दू के मेल से प्रश्न-आप कौन-सा भोजन करना पसन्द करते हैं ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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