Book Title: Saraswati 1937 01 to 06
Author(s): Devidutta Shukla, Shreenath Sinh
Publisher: Indian Press Limited

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Page 640
________________ 624 सरस्वती [ भाग में * खासदारों की चौकियों पर भी उनके हमले शुरू हुए तब एक विचित्र रवाज सरकार का ग्रासन डिगा और उसने उपद्रवियों के केन्द्र- सिंध के एक अञ्चल में हिन्दू और मुसलमानों में स्थान खेसारा घाटी में अपनी सेना भेजकर उपद्रवियों का भी अन्तर्जातीय विवाह होता है, इसका पता पित दमन करना प्रारम्भ कर दिया। इधर अँगरेज़ी इलाके में - निर्वाचन के समय लगा है। सिन्ध में थर और पान सरकार निरस्त्र लोगों को सशस्त्र करने की योजना भी जिले में एक तालुके में राजपूतों की एक जाति रहती। काम में ला रही है ताकि क़बीलेवालों के अाक्रमण करने जो अपने पड़ोस के एक जाति के मुसलमानों को विवाह / पर वे उनसे अपनी रक्षा कर सकें। आशा है, इस बार अपनी लड़कियाँ देती है। ये मुसलमान अरबाव कहला सरकार ऐसी कोई स्थायी व्यवस्था ज़रूर कर डालेगी हैं और उन राजपूतों को छोड़कर और किसी के यहाँ / जिससे स्वतन्त्र कबीले भविष्य में फिर ऐसे उपद्रव न लड़कों का विवाह नहीं करते। विवाह कन्या के पिता के 4 करें और यदि कभी कर बैठे तो उस दशा में अँगरेज़ी में होता है और हिन्दू-प्रणाली से होता है / पर जब कन्य इलाने के प्रजाजन उनका पूरा मुक़ाबिला कर सकें। ससुराल जाती है तब वहाँ उसका मुसलमानी रीति से फिर विवाह होता है, पर कन्या न तो उस समय मुसलमान ___पंजाब-सरकार का एक सत्कार्य बनाई जाती है, न उसके बाद ही कभी। यही नहीं, वह गत 1 अप्रेल से भारत का शासन एक नये विधान के अपने पति के घर में स्वेच्छापूर्वक हिन्दू-धर्म के अनुसार अनुसार हो रहा है, परन्तु अभी तक इस बात का आभास अपना जीवन यापन करती है। वह हिन्द भोजन करती है. तक नहीं मिला है कि शासन-कार्य में कोई विशेष परिवर्तन अपने घर में तुलसी की पूजा करती है, व्रत आदि रहती हा है। कहा जाता है कि सभी प्रान्तों के मंत्रि-मण्डल है। उसी तरह उसका पति अपने धर्म के अनुसार अपना इस समय ऐसी क्रान्तिकारी योजनायें सोच रहे हैं जिनके जीवन-यापन करता है। पर इन बातों को लेकर उनमें कार्य में, परिणत होते ही इस अभागे देश की सारी आधि- कभी किसी तरह की खटपट नहीं होती। हाँ, उनके बच्चे व्याधि और दैन्य-दुःख अनायास ही दूर हो जायेंगे। मुसलमान ही होते हैं, जिनमें लड़कियाँ तो मुसलमानों को इसके लक्षण भी दिखाई देने लगे हैं। अभी पंजाब ब्याही जाती हैं। और यह व्यवस्था उनमें एक युग से चली में वहाँ की सरकार ने जो व्यवस्था संकटग्रस्तों की अा रही है / ये दोनों भिन्न जातियाँ वहाँ परस्पर प्रेम सहायता करने के लिए की है वह अाशाजनक है। हाल अब तक रहती चली आई हैं। बाहर के लोगों की में मुलतान की कमिश्नरी में अोलों से वहाँ की फसल को पता भी न लगता. यदि गत निर्वाचन-काल भट्टरपन्थी। बड़ी हानि पहुँची थी। इसकी खबर पाते ही सभी उच्च मुसलमान अरबाब मुसलमान उम्मेदवारों का यह कहकर अधिकारियों ने मौके पर पहुँच कर हानि की जाँच की विरोध न करते कि वे हिन्दू पक्षीय मुसलमान हैं और कट्टर और उसकी सूचना सरकार को तार से दी / फलतः सरकार मुसलमानों को उन्हें वोट नहीं देना चाहिए। ने लगान में 18 लाख रुपये की छूट देने की और 5 लाख रुपये की तकाची बाँटने की आज्ञा दी। इसके सिवा विपद्ग्रस्तों की अावश्यक सहायता करने में एक लाख भूल-सुधार . . रुपया और खर्च किया गया / और यह सब काम कुल सरस्वती के इस अंक में 578 पृष्ठ पर 'सुबोध सरस्व 14 दिन के भीतर हो गया। इस तरह की सहायता अदापाल’-शीषक एक ऋविता श्रीयुत द्विजेन्द्रनाथ मिश्र पहुँचाने में पहले इतनी शीघ्रता से काम नहीं लिया जाता 'निर्गुण' के नाम से छपी हैं। दोनों बातें ग़लत छप गई। था। वास्तव में पंजाब की नई सरकार का यह श्री गणेश हैं / वास्तव मैं उस कविता रचयिता को नाम 'श्रीयुत / शुभ का सूचक है। अन्य प्रान्तों की सरकारों को पंजाबः सुबोध अदावाल है, और कविता का शीर्षक ?' है / सरकार की इस सजगता से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। पाठक सुधार कर पढ़ने की कर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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