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संख्या ६]
एज्युकेशन कोटे
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बड़े ही ऊँचे दर्जे की थीं। इन्स्पेक्टर अाफ़ स्कूल्स की निगरानी में गोरखपुर के गवर्नमेंट जुबिली हाई स्कूल के विद्यार्थियों तथा ड्राइंग मास्टर द्वारा तैयार की गई प्राचीन भवनों की तसबीर बड़ी ही अच्छी थीं। इस कोष्ठ में लकड़ी के चिरे हुए चिकने तल पर केवल कोरों को उभाड़ या दवाकर निकाली हुई रवी बाबू तथा वृक्ष प्रादि की
आकृति उच्च श्रेणी की कारीगरी का नमूना थी।
(एज्युकेशन कोर्ट के पुस्तक-विभाग का एक अंश । श्री शम्भनाथ मिश्र तथा
(इण्डियन प्रेस, प्रयाग की पुस्तकों का प्रदशन) प्रयाग-महिला-विद्यापीठ की प्रधानाध्यापिका तथा छात्राओं के बनाये चित्र और प्रान्त के लगभग सभी ट्रेनिंग कालेजों से अनेक सामान आये अजन्ता की चित्रकारियों की प्रतिलिपियाँ बहुत ही उत्तम थे। प्रयाग के गवर्नमेंट ट्रेनिंग कालेज का भेजा हुआ दीवाल और सराहनीय थीं।
पर का लम्बा-चौड़ा चार्ट, जिसमें ईसा पूर्व २००० वर्ष पहले प्राचीन शिक्षा संस्थानों (संस्कृत पाठशाला तथा से लेकर वर्तमान काल तक का भारत का इतिहास प्रदर्शित अरबी मदरसों) ने अमूल्य हस्तलिखित पुस्तकें भेजी थीं। था, दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित करता था। गवर्नमेंट बनारस के बिडला-संस्कृत-पाठशाला का भेजा हा चित्रों में प्रदर्शित छान्दोग्योपनिषद् बड़ा ही मुन्दर काम था।
[एज्युकेशन कोर्ट में इंग्लैंड के स्कूलों के वालक-बालिकानों के काम का प्र
(शिक्षासंबंधी पत्र और पत्रिकायें, राष्ट्रसंघ का साहित्य और बुद्धिमापक साहित्य तथा खेल के विभाग ।]
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