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संख्या ६]
एज्युकेशन कोर्ट
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शिक्षा वास्तव में एक कला है और इसकी सफलता है इसकी लोकप्रियता। एज्युकेशन कोर्ट में प्रत्येक वय और रुचि के लोगों के लिए इतनी अधिक सामग्री एकत्रित थी कि किसी भी व्यक्ति को वहाँ से निराश लौटने का अवसर ही नहीं मिल सकता था। अपने जीवन से सम्बन्ध रखनेवाली तथा अपने ज्ञान की परिधि की वस्तुयों से मिलतीजुलती चीजें ऐसे क्रम और सरल ढङ्ग से प्रदर्शित की
[चित्रशाला का एक भाग।] गई थी जिससे सबके लिए
(भारत की ऐतिहासिक इमारतों के चित्र ।) बोधगम्य थीं। मानवसमाज अाज ज्ञान और सभ्यता की जिस सीमा पर पहुँच उत्साह का संचार करना ही अन्य शिक्षा-सम्बन्धी कार्य रहा है उसकी एक स्पष्ट झाँ को देकर जनता में ज्ञान और की तरह एज्युकेशन कोर्ट का भी ध्येय था। इस कोर्ट की
अत्यधिक लोकप्रियता इस बात का प्रमाण थी कि इस कोर्ट को पाशातीत सफलता प्राप्त हुई।
वस्तुओं का निर्माण करने तथा नई नई चीज़ों के अवलोकन की उत्सुकता--- ये दो प्रवृत्तियाँ बालकों में प्रबल होती है। लड़के अपनी बनाई चीज़ों के प्रति एक विशेष ममता, गर्व तथा अपनत्व का भाव रखते हैं । एज्युकेशन कोर्ट में देश के भिन्न-भिन्न स्कूलों
के बालक-बालिकानों तथा [युक्तपत के बालकों के बनाये हुए लकड़ी के काम का प्रदर्शन।] अध्यापकों द्वारा बनाई हुई (पीछ दीवार में अध्यापकों के बनाये चित्रों का संग्रह है।)
चीज़ रखी गई थीं। लड़के
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