Book Title: Saraswati 1937 01 to 06
Author(s): Devidutta Shukla, Shreenath Sinh
Publisher: Indian Press Limited

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Page 595
________________ कानपुर का टेकनोलाजिकल इंस्टिट्यूट लेखक, श्रीयुत श्यामनारायण कपूर, बी० एस-सी० E HATTET द्योगिक तथा व्यावसायिक शिक्षा प्रान्त के तत्कालीन गवर्नर सर हारकोर्ट बटलर के नाम से SNA और भारतीय उद्योग-धन्धों की सम्बद्ध करके टेकनोलाजिकल इंस्टिट्यूट का कार्य प्रारम्भ Boyो उन्नति के लिए भारतीय जनता · हो गया। १९२१ के नवम्बर में गवर्नर महोदय ने " विगत ५० वर्षों से बराबर अान्दो- इंस्टिट्यूट की इमारतों का शिलारोपण-संस्कार भी सम्पन्न ALS लन कर रही है। सन् १८८० में किया। - भारतीयों की इस मांग के सम्बन्ध प्रान्तीय सरकार के इस निश्चय के पूर्व इस इंस्टिटयूट में एक महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई थी। इस रिपोर्ट की रूप-रेखा सर्वथा भिन्न रखने का विचार किया जा रहा की अत्यन्त आवश्यक सिफ़ारिशों पर भी वर्षों तक कोई था। प्रारम्भ में इसका प्रमुख उद्देश शिक्षण संस्था जैसा कार्यवाही नहीं की गई। फिर भी जनता की प्रौद्योगिक न होकर प्रान्तीय उद्योग-धन्धों में सहायता पहुँचाने एवं शिक्षा की माँग बराबर बढ़ती गई और उसके लिए उन्हें उन्नत बनाने के लिए अन्वेषण-कार्य करना था। आन्दोलन भी जारी रहा। युक्तप्रान्त की अधिकांश प्रौद्यो- इसी उद्देश को लेकर 'रिसर्च इंस्टिट्यूट' के नाम से इसका गिक शिक्षण संस्थानों एवं कानपुर के हारकोर्ट बटलर काम शुरू भी हो गया था। सन् १९२० में इस मसले की टेकनोलाजिकल इस्टिटयूट के स्थापित किये जाने का जाँच के लिए एक कमिटी नियुक्त की गई। इस कमिटी अधिकांश श्रेय इसी अान्दोलन को है। ने सिफारिश की कि इंस्टिटयूट में अन्वेषण के साथ ही ___ सन् १९०७ में नैनीताल में प्रौद्योगिक कान्फरेंस का उच्च कोटि की श्रौद्योगिक शिक्षा का भी प्रबन्ध होना अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में युक्तप्रान्त में उच्च चाहिए। इसी कमिटी की सिफ़ारिशों के फल-स्वरूप कोटि की औद्योगिक शिक्षा देने के लिए टेकनोलाजिकल सरकार ने 'हारकोर्ट बटलर टेकनोलाजिकल इंस्टिट्यूट' इंस्टिट्यूट स्थापित करने का निश्चय किया गया। इस की स्थापना का निश्चय किया। बात की सिफारिश की गई कि इस टेकनोलाजिकल १९२१ के सितम्बर में शिक्षण-कार्य प्रारम्भ हो इंस्टिट्यूट का रसायन-विभाग युक्तप्रान्त के प्रमुख गया। विद्यार्थियों के काम के लिए प्रारम्भ में प्रारजी श्रौद्योगिक नगर कानपुर में स्थापित किया जाय और तौर पर कुछ प्रयोगशालायें बनाई गई। इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग विभाग रुड़की के इंजीनियरिंग कालेज में ही विभाग की शिक्षा का प्रबन्ध लखनऊ के सरकारी बना रहे । प्रस्ताव पास हो जाने के बाद फिर चुप्पी साध ली टेकनिकल स्कूल में किया गया। शुरू में सरकार ने गई और उसे कार्य रूप में परिणत करने के लिए कोई इंस्टिट्यूट की स्थापना के लिए जो स्कीम मंजूर की थी खास कोशिश नहीं की गई । सन् १९१६-१८ के इण्डियन उसके अनुसार इंस्टिट्यूट का उद्देश औद्योगिक रसायन इंडस्ट्रियल कमीशन ने एक बार फिर औद्योगिक शिक्षा की शिक्षा देना और उद्योग-धन्धों को सहायता पहुँचाने की आवश्यकता पर जोर दिया और पिछले ३०-३५ वर्षों से एवं उन्नत बनाने के लिए अन्वेषण-कार्य करना था। निरन्तर आन्दोलन किये जाने पर भी इस सम्बन्ध में कोई अस्तु इंस्टिट्यूट का पाठ्यक्रम भी इन्हीं उद्देशों को लेकर काम न किये जाने पर खेद प्रकट किया। तैयार किया गया। भारतीय विश्वविद्यालयों से विज्ञान में ___ सन् १९०७ में टेकनोलाजिकल इंस्टिट्यूट की स्थापना ग्रेजुएट होनेवाले विद्यार्थियों को इस्टिट्यूट में भर्ती करने का प्रस्ताव पास हो जाने पर भी उसे कार्यरूप में परिणत का नियम बनाया गया। विद्यार्थियों को मौखिक और करने में पूरे १४ वर्ष लग गये। १७ फ़रवरी १९२१ का व्यावहारिक दोनों प्रकार की शिक्षा देने का प्रबन्ध युक्तप्रान्तीय सरकार ने एक प्रस्ताव पास करके कानपुर किया गया। प्रत्येक विषय का समुचित ज्ञान प्राप्त करने में 'टेकनोलाजिकल इंस्टिटयूट' की स्थापना की स्कीम को के लिए तीन साल का कोर्स रक्खा गया। प्रयोगशालाओं स्वीकार किया। इस निश्चय के अनुसार उसी वर्ष युक्त- के अतिरिक्त स्थानीय मिलों में भी काम करने की सुविधायें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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