________________
५६
सरस्वती
[भाग ३८
मनाया
Instastic
P
oon
50AM
POST
Ast
।
Crore
R
S
[प्रथम शताब्दी का खिलौना।। (एक बालक खिलौने के घोड़े का टोरी से ग्वीच रहा है। कौन कह सकता है कि यह खिलौना ग्राज का नहीं किंतु प्रायः दो हज़ार वर्ष पहले का है। यह चित्र भी पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी के संग्रह से लिया गया है। यह नागा जुन काण्डा नामक स्थान के एक मंदिर में-जा प्रथम शताब्दी में बना था--पाया गया है।)
द्विार पर 'मातम्नेह और सरस्वती जी के चित्र
पर सर्वप्रथम दृष्टि पड़ती थी।
के कोष्ठ की सनावट तथा कारीगरी की असंख्य वस्तुएँ थीं। इस कोष्ट में सरहदी सूबे तक से लड़कियों ने अपनी मुन्दर सुन्दर चीज़ भेजी थीं। प्रारम्भिक और सेकंदरी वाक्युलर स्कूल के बच्चों और शिक्षकों की भेजी हुई ची मालिक और प्रशंसनीय थीं। (युकेशन कोट के संयोजक शिक्षा के इस अंग के स्वयं विशेषज्ञ हैं। उनके सकल के विद्यार्थियों और अध्यापकों पर उनके व्यक्तित्व और अनुभवों का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है। बाल-
एज्युकेशन वीक में लाठी के सामहिक खेल का प्रदर्शन।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com