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संख्या ६ ]
एज्युकेशन कोर्ट
FRET WORK ETC.
[ युक्तप्रांत के स्कूलों के विद्यार्थियों के बनाये हुए लकड़ी के काम का प्रदर्शन । ]
हाई स्कूल सीतापुर, गवर्नमेंट इंटर कालेज फ़ैज़ाबाद, दून स्कूल, देहरादून तथा थियोसोफिकल स्कूल बनारस की भेजी हुई लकड़ी की चीजें प्रशंसनीय थीं। देश के सुदूर प्रान्तों से भेजी हुई दरियाँ, टेबुल क्लॉथ, पदों तथा कालीनों की कारीगरी सराहनीय थी। नार्मल स्कूलों की भेजी हुई शैशव तथा प्रारम्भिक शिक्षा से सम्बन्ध रखनेवाली चीजें महत्त्वपूर्ण थीं। झाँसी नार्मल स्कूल की भेजी हुई भूगोल सम्बन्धी भिन्नभिन्न प्राकृतिक परिवर्तनों को पढ़ाने की सरल युक्तियाँ उल्लेखनीय थीं। पं० श्रीनारायण चतुर्वेदी ने योरप, अमे रिका तथा जापान की लाई हुई शिक्षा सम्बन्धी अपनी तसवीरों का संग्रह भेजा था। उन तसवीरों से विदेशों के स्कूलों में विद्यार्थियों के जीवन का आभास मिल जाता था । जापानी स्कूलों की तसवीरों के देखने से मालूम
[ एज्युकेशन कोर्ट में चिकित्सा विभाग । ग्राँख के रोग और उसके साथ शीशियों में असाधारण बच्चे |]
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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[ भारतीय पाठशाला का प्राचीनतम चित्र । ] ( यह, भारत स्तूप जो ईसा के पूर्व की तीसरी शताब्दी में निर्मित हुआ था, में खुदा हुआ पाया गया है । यह पण्डित श्रीनारायण चतुर्वेदी के 'भारतीय शिक्षा के चित्रमय इतिहास' नामक संग्रह में प्रदर्शित किया गया था ।)
पड़ता था कि वहाँ के स्कूलों में बच्चों के खेल और विचरण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। चेकोस्लावेकिया के स्कूलों में लड़कों को वहाँ की प्रधान कारीगरी शीशे के कामों में दक्षता प्राप्त करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है । वे तसवीरें इस दृष्टि से विशेष उल्लेखनीय थीं। शिक्षाविभाग के वर्तमान डाइरेक्टर की भेजी हुई इंग्लैंड के स्कूलों के छोटे-छोटे बच्चों की बनाई हुई वस्तुत्रों का विशाल संग्रह प्रशंसनीय था ।
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यूनिवर्सिटियों के भेजे हुए चार्ट महत्त्वपूर्ण थे । उनसे अनेक नवीन बातों की जानकारी हो सकती थी । लड़कियों
[ एज्युकेशन वीक में ड्रिल आदि की प्रतियोगितायें हो रही हैं ।]
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