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संख्या ६ ]
उदयपुर-यात्रा
न लेकर कहा कि मैं भी आपकी ही तरह एक मुसाफिर हूँ, व्हीलर का एजेन्ट नहीं हूँ । वे सज्जन शर्मिन्दा होकर मुझसे माफ़ी माँग चले गये । सुबह होने पर जब मैंने अपने मित्र से यह कथा सुनाई तब वे भी बहुत हँसे और उदयपुर तक मुझे व्हीलर का एजेन्ट कहकर ही सम्बोधित करते रहे ।
दूसरे दिन ९ बजे हमारी गाड़ी आगरा पहुँची। बी० वी० सी० आई. रेलवे की गाड़ी में हम लोगों को यहाँ सवार होना था। ट्रेन में ९ घण्टे की देर थी, किन्तु उसके लिए क्या चिन्ता थी, जब हम ग्रागरा में मौजूद थे । जलपान कर हम लोग ताजमहल की ओर चल पड़े। रास्ते में आगरे के प्रसिद्ध किले को देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। यह हिन्दू-मुस्लिम कला का एक सुन्दर नमूना 1
भीतर कितनी ही संगमरमर की इमारतें हैं । एक कोटरी ऐसी है जिसको बन्द कर देने पर भी उसके अर्धपार दर्शक पत्थरों द्वारा भीतर रोशनी आती रहती है । हमारे पथप्रदर्शक को तो मुग़ल साम्राज्य का सारा इतिहास मुखस्थसा था । उनको क़िला-सम्बन्धी अनेक किस्से याद थे और उन किस्मों को वे इस तरह कहते थे, मानो उन्होंने वे सारी घटनायें अपनी आँखों देखी । ऐतिहासिक घटनाओं
[ उदयपुर – जगन्नाथ मन्दिर और शहर के कुछ यश का दृश्य । ]
[ उदयपुर - बाज़ार । ]
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के बीच बीच में ये मज़ाकिया ढंग से मुग़ल बादशाहों की रासलीलाओं का भी वर्णन करते जाते थे ।
किला देखने के बाद हम लोग सीधे ताजमहल की ओर बढ़े। दुनिया की इस प्रसिद्ध इमारत को अभी तक मैंने तसवीरों में ही देखा था । उसे साक्षात् देखकर मेरी . खुशी का कोई ठिकाना न रहा । मैं बहुत देर तक टकटकी लगाये उसे देखता रहा । मैं सोच रहा था कि घर लौटने पर ताज के बारे में पूछने पर मेरा उत्तर क्या होगा । ताज की तारीफ़ आँखें ही कर सकती हैं- जवान नहीं । शाम को हम लोग गाड़ी पर सवार हो गये । रात होने के कारण रास्ते की चीजें नहीं देख सकते थे ।
हाँ, भरतपुर का दही बड़ा अभी तक याद है ! सुबह सात बजे ग्रांखें खुलीं । ग्रासमान में लाली छा रही थी। इस लाली में वृक्ष-रहित पर्वत भी लाल मालूम पड़ते थे । चारों तरफ जिस ओर नज़र दौड़ती, सूखी ज़मीन के सिवा और कुछ नहीं देख पड़ता था। हाँ, कहीं कहीं गेहूं की खेती नज़र याती श्री । धान राजपूताने में होता ही नहीं । उदयपुर में सुनने में थाया कि वहाँ धान की कुछ खेती होती है । किन्तु उपज इतनी कम है कि
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