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१ - जगत के मालिक ।
५— ठीक ।
८- कठिनाइयाँ पड़ने पर कच्चे दिल के मनुष्य...... हो जाते हैं।
९ - इसके मुख पर एक विशेष चमक रहती है। ११ - अंगीकार ।
१६ - जिनकी मानसिक शक्तियाँ तीव्र होती हैं, वे बिना अभ्यास ही यह ठीक करते हैं ।
अपनी याददाश्त के लिए वर्ग १० की पूर्तियों की नक़ल यहाँ पर कर लीजिए । और इसे निर्णय प्रकाशित होने तक अपने पास रखिए ।
१८ - हाथ ।
१९ - शहरों में कच्चा दूध प्रायः ऐसा ही मिलता है। २० - यहाँ धाक उलट गया है।
२१ - किसी अजनवी मनुष्य का रहन-सहन सबसे पहले इसी से मालूम पड़ता है।
२२ - इसकी दशा या अवस्था में परिवर्तन नहीं होता । २३ – यदि शहर न होता, तो यह भी दिखलाई न पड़ता । २४ - तराज़ू | २५-सज २६ - यह काम तोपों के द्वारा होता है।
२७- ऐसा मनुष्य यदि सर्वप्रिय होता है, तो बहुत समय के बाद। २९- अनुचित । ३० - यदि सदीं मामूली हो, तो इसमें मालूम नहीं पड़ती। ३१ - कमरे की दीवार पर प्रायः कील के सहारे लटकती हुई देखी गई है।
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ऊपर से नीचे
१ – किसानों के किसी किसी कच्चे कुएँ की..ऐसी नीची और ढालू होती है, कि पास से निकलने वालों को कुएँ में फिसल जाने का भय रहता है। २ - कोई कोई बहुत सुरीला होता है। ३ - ग़रीबी ।
४-गुप्तभेद ।
५. इसका नाम दूर दूर तक प्रसिद्ध हो जाता है। ६- तसवीर बनाना ।
७ – उस प्रकार का । १०- राज महल में बढ़िया से बढ़िया का पाया जाना एक साधारण बात है ।
१२- प्रायः साहसी और परिश्रमी ही इससे आनन्द उठाते हैं।
१३- इस पर चलने से कठिनाइयाँ उठानी ही पड़ेंगी। १४ - वे माता-पिता बड़े ही कट्टर हैं, जो लड़कों की निरपराध...... को भी बुरा समझते हैं । १५-थके हुए घोड़े को इससे आराम पहुँचता है। १७ - दुखियों का काम प्रायः इसके बिना नहीं चलता । १९ - बेल का फिर से हरा होना।
२० - दिवाली का बना हुआ शुभ समझा जाता है । २१- शास्त्रों से प्रकट है कि सिद्धि प्रायः इसी के द्वारा २२- कंडों का ढेर । एक समय इसको अपने
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मिली है। २७ - तुच्छ होने पर भी धनी
महल में स्थान देते हैं । २८ -- लगातार वर्षा | नोट- रिक्त कोष्ठों के अक्षर मात्रा रहित और पूर्ण हैं
वर्ग नं० ६ की शुद्ध पूर्ति
वर्ग नम्बर ९ की शुद्ध
पूर्ति जो बंद लिफाफे में मुहर लगाकर रख दी गई थी, यहाँ दी जा रही है। पारितोषिक जीतनेवालों का नाम हम अन्यत्र प्रकाशित कर रहे हैं।
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