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बाधार आधार का
बनाये जायँ । उन जगहों से अन्यत्र कोई सिगरेट आदि न पीने पावे और वहाँ लिखा रहे - ख़तरा ! धूम्र-पान का अड्डा ! यदि नवाब छतारी की मिनिस्ट्री कम से कम इतना भी कर दे तो समझेंगे कि वह बहुत सफल रही ।
हुक्का या सिगरेट पीने से पीनेवाले का ही स्वास्थ्य ख़राब हो सो बात नहीं है । इसका दुष्परिणाम उसके पड़ोसियों को भी भुगतना पड़ता है। जिन मज़दूरों या किसानों को चिलम पीने का शौक होता है उनमें कितने ही अपने पड़ोसियों की झोपड़ियाँ फूँक देने का श्रेय प्राप्त करते हैं । रेल की यात्रा जिन्हें थोड़ी-बहुत भी करनी पड़ी है वे जानते हैं कि चिलम पीनेवाले रेल के डिब्बों के अन्दर चिथड़े आदि जलाकर किस प्रकार दुर्गन्धि फैलाते हैं और मुसाफ़िरों को परेशान करते हैं। ऐसे लोग किस किस • प्रकार से हानि पहुँचा सकते हैं, इसकी गिनती नहीं है । अभी हाल में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सिगरेट के शौक़ीन एक विद्यार्थी ने अपने एक साथी को काना बना दिया है। ये महाशय लापरवाही से मित्रों के साथ बैठे सिगरेट पी रहे थे । इत्तिफ़ाक से इनके सिगरेट की जलती हुई नोक इनके एक मित्र की ख में लग गई। उससे उस बेचारे की पुतली जल गई और वह लखनऊ के मेडिकल कालेज
में इलाज के लिए भेजा गया। एम० एस-सी० की परीक्षा • मे वह बैठनेवाला था, जो अब उसके लिए सम्भव नहीं रहा ।
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पञ्जाब में कांग्रेसी बहुमत का भय नहीं है । कदाचित् इसीलिए वहाँ की व्यवस्थापिका सभा जल्द बुलाई गई है । पहले दिन जब सदस्य राज-भक्ति की शपथ ले रहे थे, एक विचित्र घटना हुई। एक बुक़पोश सदस्य ने सभापति से शिष्टाचार के अनुसार हाथ मिलाने से इनकार कर दिया और कहा - " मैं मुसलमान स्त्री हूँ । इसलिए किसी अन्य मर्द से हाथ नहीं मिलाऊँगी।" यह तो ठीक है, पर बिना मुँह देखे लोग यह कैसे समझेंगे कि ये वही सदस्या हैं जो बाक़ायदे चुनी गई हैं। पता नहीं, ये महाशया. वोट माँगने कैसे गई थीं और वोटरों ने बिना मुँह देखे इन्हें वोट कैसे दे दिया
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एक पंजाबी पत्र का कहना है कि इस्लामी आदेश के अनुसार स्त्री की आवाज़ भी परपुरुष के कानों में न पड़नी चाहिए। पता नहीं, इस श्रादेश का पालन ये देवी कैसे करेंगी । कुछ लोगो का अनुमान है कि संयुक्त प्रान्तीय कौंसिल की जब बैठक होगी तब उसमें भी दो-एक मियाने पहुँचेंगे। देखना है कि उन पर कैसी बीतती है ।
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संयुक्त-प्रान्त में कांग्रेस के मंत्रिपद अस्वीकार कर देने से नवा छतारी ने जी हुज़ूरों का मंत्रिमंडल बनाया है । उस दिन समाचार-पत्रों में हमने पढ़ा कि प्रान्तीय व्यवस्थापिका सभा की बैठक तब बुलाई जायगी जब यह मंत्रिमंडल अपना कार्यक्रम तैयार कर लेगा । हमारा प्रस्ताव है कि यदि यह मंत्रिमंडल सत्र काम छोड़कर सिर्फ़ सिगरेट-पान को नियमित और नियन्त्रित करने का बीड़ा उठा तो बहुत जल्द लोकप्रिय हो जाय । स्कूलों में सिगरेट पीनेवाले लड़के एक तरफ़ और न पीनेवाले दूसरी तरफ़ बैठाले जायँ, रेलों में जैसे माने और मर्दाने डिब्बे रहते हैं, वैसे ही धूम्र-पानवाले और धूम्र-पानवाले डिब्बे लगाये जायँ, शहरों में जैसे इक्का, ताँगा, मोटर आदि खड़ा करने के अड्ड े रहते हैं, वैसे ही धूम्र-पान के श्रड्डे
उस दिन लश्कर ( ग्वालियर) में एक ब्राह्मण स्त्री अपनी ९ वर्षीया कन्या के साथ मकान की छत से पृथ्वी पर कूद पड़ी और मर गई । कारण यह बताया जाता है कि उसने एक वैश्य को अपना पति बनाने की भूल की थी । इत्तिफ़ाक़ की बात कि उस बेचारे वैश्य का इन्तकाल हो गया। उसकी इस ब्राह्मण स्त्री ने अपने पड़ोसियों से बहुतेरा कहा कि वे उसके पति की लाश को स्मशान पहुँचा दें। पर उसे हाथ कौन लगाता ? उसने जाति के बाहर शादी की थी ! सवेरे दस बजे से शाम को साढ़े
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