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पाँच बजे तक जब लाश पड़ी रह गई तब स्त्री ने हताश होकर उक्त प्रकार से अपने प्राण दे दिये। यह स्त्री शायद नरक में जायगी और जिन कुलीन (?) हिन्दुनों ने उसकी प्रार्थना नहीं सुनी उनके लिए शायद इन्द्र अपना श्रासन खाली कर रहे होंगे ।
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सरस्वती
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बिहारी सतसई के दोहों पर व्यङ्ग चित्र बनाने में श्री केदार शर्मा ने कमाल किया है। उनके बहुत से चित्र इस स्तम्भ में प्रकाशित हो चुके हैं। यहाँ हम एक और प्रकाशित कर रहे हैं । अर्थ स्पष्ट है ।
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संगति दोष लगै सबै कहे जु साँचे बैन । कि भ्रू गते, भये कुंटिल गति नैन ॥
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'नैनीताल के एक होटल के मैनेजर का रोना है कि इस वर्ष नैनीताल में भी भीषण अकाल पड़नेवाला है और यह ऐसी घटना है जो नैनीताल के इति
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[ भाग ३८
हास में पहली ही बार घटने जा रही है। बात यह है कि इस वर्ष युक्तप्रान्तीय सरकार ने लखनऊ में हो गर्मी बिताने का निश्चय किया । ऐसी दशा में नैनीताल की चहल-पहल का कम हो जाना अवश्यम्भावी है। गर्मी की फ़सल काटने के उद्देश से जो होटलवाले, सिनेमावाले, वैये और नर्तकियों आदि वहाँ जा डटी हैं उन्हें व खाली हाथ लौटना पड़ेगा। ये सब लोग वहाँ बैठे नवाब छतारी की मिनिस्ट्री को कोस रहे हैं और ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि कांग्रेसवाले इस मिनिस्ट्री का जितनी • जल्दी खात्मा कर दें, उतना ही अच्छा। किसी ने ठीक ही कहा है- "सबै सहायक सबल के कोउ न निवल सहाय ।"
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हिन्दी की वर्णमाला में जितने अक्षर हैं वे सब 'पुंलिङ्ग' हैं । केवल तीन अक्षर इ, ई और ॠ स्त्रीलिङ्ग है । व्याकरण के उच्चारण-सम्बन्धी नियमों के ही बल पर ये अक्षर स्त्रीलिङ्ग हो सो बात नहीं, अपनी सुघड़ बनावट में भी ये अक्षर अपना स्त्रीपन व्यक्त करते हैं । इ और ई तो ऐसे दिखते हैं, मानो कोई परम सुन्दरी युवती नृत्य में तल्लीन हो । इन अक्षरों को निकाल देना हिन्दी-वर्ण- माला से स्त्री को निकाल देना है। पर सुने कौन ? कुछ लोग काका साहब की गिनती सन्तों में करते हैं और सन्तों का स्त्री से वैर स्वाभाविक है ।
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कांग्रेस- कमिटियों को
भी अपना सम्पर्क
गये हैं । आपने
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश किया है कि वे मुसलमानों से बढ़ावें । बाबू राजेन्द्रप्रसाद और नागे * एलान किया है - "कोई गाँव कांग्रेस के बिना न हो और - कोई कांग्रेस कमिटी मुसलमानों से रहित न हो।" अब मान लीजिए, किसी ऐसे गाँव में कांग्रेस कमिटी बनानी हो जहाँ एक भी मुसलमान न हो तो इस नियम का पालन कैसे होगा ? दो ही सूरतें हो सकती हैं। या तो वहाँ कुछ मुसलमान बसाये जायँ या वहाँ के कुछ हिन्दू मुसलमान हो जायँ । इस युग में इस देश का देवता मुसलमान है । बगैर उसको प्रसन्न किये देश का उद्धार सम्भव नहीं है ।
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