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- संख्या ५]
मलार में महेश्वर
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गया है, लकड़ी डाल कर छप्पर बना लिया है और अपने बैठने का स्थान।
..टेकड़ी के खोदे जाने पर अनेकानेक समूची (अखण्डित) और टूटी प्राचीन मूर्तियाँ निकली हैं। ये मूर्तियाँ कई प्रकार के महादेव, देवी, विष्णु, गणेश, भैरव, सर्प, महावीर, नंदी, नृसिंह, हाथी इत्यादि की निकली हैं। कुछ दिगम्बर मूर्तियाँ भी निकली हैं । ये मूर्तियाँ दो प्रकार की हैं । कुछ तो बुद्ध की हैं और कुछ जैन तीर्थकरों की । कई मूर्तियाँ तत्कालीन राजाओं की-सी भी निकली हैं। मूर्तियों के अलावा बड़े मंदिर के बग़ल में एक छोटा मंदिर या चबूतरा-सा निकला है, जिसके मध्य में एक शिवलिंग है। और एक अोर राजाओं की मूर्तियाँ जो खंडित हैं, निकली
[मलार गाँव के तालाब के पास काले पत्थर की मूर्ति] हैं । राजाओं की मूर्तियों में डाढ़ी का बनाव दिखाया गया है, सिर पर मराठी ढंग की पगड़ी दिखती है। हाथ जोड़े और १३ फुट चौड़ा चबूतरा बनाकर रक्खी जाती तो हुए इनकी रचना की गई है । कई राजाओं की पगड़ी या अच्छा होता। अब भी ऐसा किया जा सकता है। प्रकाश के टोपी प्राचीन ढंग की बनाई गई हैं। हनूमान् का एक लिए चारों तरफ़ खिड़कियाँ बनवा देना भी अावश्यक है। सिर बहुत ही उत्तम भावपूर्ण मिला है। चेहरे पर चमड़े कई मूर्तियाँ बाहर पड़ी हैं । कई गाँव भर में फैली हुई की झुर्रियाँ भी बनाई गई हैं। इतनी बारीकी प्राचीन मूर्ति हैं। कई मूर्तियाँ जो संभवतः टेकड़ी के आस-पास से प्राप्त में कहीं भी देखने में नहीं आई थी। कई मर्तियाँ पहचान हुई होंगी, वर्षों से गाँववालों ने अपने घर के सामने और में नहीं आतीं । तो भी नागपुर-म्यूज़ियम के क्यूरेटर ने कई ने अपने घर की दीवारों पर चुनवा ली हैं। बहुत कुछ अनुमान भिड़ाकर उनके नामकरण किये हैं। एक दीवार में एक दिगम्बर खड़ी मूर्ति, ३ या ४ एक कुबेर की मूर्ति को वे बहुत प्राचीन बताते हैं। __ अश्लील मूर्तियाँ, बुद्ध की मूर्ति और देवी की मूर्तियाँ लगी
मूर्तियों के अतिरिक्त पानी भरने का एक टाँका मिला हैं । एक मकान के सामने दरवाजे के दोनों ओर २ घोड़े की है । एक समई दीपक जलाने की, चरण-पादुकायें और मूर्तियाँ रक्खी हैं । गाँव के मध्य में तिली या गन्ना पेरने का कुछ अश्लील मूर्तियाँ भी निकली हैं। मूर्तियाँ मालगुज़ार करीब ३ या ४ फुट ऊँचा एक कोल्हू रक्खा है। कोल्हू साहब ने एक कोठा बनवाकर दीवार के सहारे कतार में पर भी चारों तरफ़ मूर्तियाँ खुदी हुई हैं। इससे प्राचीन रखवा दी हैं । यदि ये मूर्तियाँ चारों तरफ़ ३ फुट ऊँचा कलाप्रेमियों की प्रवृत्ति का ठीक ठीक पता चलता है।
ऐसा नहीं था कि वे अपने देवी-देवताओं को और उनके मंदिरों को ही कलापूर्ण बनाने का प्रयत्न करते थे, बरन वे जीवन के उपयोगी पदार्थों को भी भाव और कला पूर्ण बनाते थे। गाँव के बाहर दूसरी ओर दो मील की दूरी पर
एक तालाब के किनारे एक देवी का मंदिर है। मूर्ति काले RKARI
पापाण की है। उसके दोनों ओर कुछ अन्य मूर्तियाँ भी हैं । मदिर के चारों तरफ़ अनेक टूटी फूटी मूर्तियाँ पड़ी हैं, जिनमें से दो समूची अश्लील मूर्तियाँ भी हैं ।
मलार में पाई गई विभिन्न मूर्तियों से पता चलता है नींव पर खुदाई का काम कि इस प्राचीन स्थान
1. शैव और
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