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सरस्वती
[भाग ३
डिवीज़न सेना घिर जायगी । श्रोह ! चाहे जैसे हो, जनरल की। चेतसिंह ने चिट्ठी सँभालकर जेब में रख ली, राबर्ट को ख़बर देना होगा। लेकिन कैसे ख़बर पहुँचाई उछलकर घोड़े पर सवार होगया और परमात्मा का नाम जाय ? सैनिक कबूतर इस भयंकर बर्फीले तूफान में बेकार लेकर घोड़े को ऍड़ लगा दी। हवा की तरह घोड़ा हैं। बेतार की ख़बर जर्मन पा जायँगे। चाहे जैसे हो, नाले की ओर बढ़ा और बर्फ में छिप गया। जनरल राबर्ट को खबर देनी ही पड़ेगी। क्या इंडियन मिनटों में घोड़ा तीर की तरह नाले के पास पहुँच सेना में ऐसा काई बहादुर सिपाही नहीं है, जो हमारा गया। बालू की तरह बर्फ से पृथ्वी ढंकी थी और धुनकी सांकेतिक पत्र नाला पारकर जनरल राबर्ट के पास पहुँचा रुई की तरह बर्फ का पर्दा पड़ा था, इससे नाला-स्थित दे । जनरल एलिस ने सिगार एक अोर फेंक दिया, और जर्मन-सेना ने न तो घोड़े की टाप का शब्द सुना और उठ खड़े हुए। अोवर कोट पहनकर और टोप लगाकर न उसे देखा ही। एकाएक नाले के पास अकेले सवार डेरे से बाहर निकल आये।
को देखकर जर्मन अकचका गये, लेकिन फिर सँभलकर बाहर मैदान में २४,००० सिपाही कतारों में दीवार धड़ाधड़ गोलियाँ बरसाने लगे। कितनी गोलियाँ वर्दी की तरह खड़े थे। अँगरेज़ और हिन्दुस्तानी आफ़िसर छूकर और कितनी कान के पास से सनसनाती हुई निकल अपनी अपनी जगह मूर्ति की तरह खड़े थे । इतने में अर्दली गई। चेतसिंह ने घोड़े को और तेज़ किया और कसकर सूबेदार सन्तसिंह ने कड़ककर साहब का हुक्म सुनाया- एँड़ लगाई। अच्छी नस्ल का घोड़ा छलाँग मारकर नाला "है कोई ऐसा बहादुर सिपाही जो जेनरल साहब का पार कर पलक मारते ही हवा की तरह अगरेज़ी कतार में पत्र लेकर नाला पारकर जेनरल राट के पास ले जाय ?" पहुँच गया। चेतसिंह कूद पड़ा। पीठ खाली होते ही सूबेदार की ललकार पर कुछ क्षण सेना में सन्नाटा छाया बहादुर घोड़ा गिरा, और गिरते ही मर गया। उसके रहा । फिर एक सिपाही अपनी कतार से बाहर आया और शरीर में ८० गोलियों के घाव थे। सूबेदार को फ़ौजी सलाम किया। सिपाही को लेकर सूबेदार जनरल राबर्ट खाई पर खड़े दूरबीन से अकेले सवार सन्तसिंह ने जनरल एलिस के सामने पेश किया। सिपाही का यह अद्भुत साहस देख रहे थे। बर्फ बड़े ज़ोर से गिर कुछ कदम आगे बढ़ा और जनरल साहब को सलाम कर रही थी, लेकिन अब अन्धकार कम हो चला था, धुंधला-सा सीधा खड़ा होगया।
प्रकाश फैल रहा था। चेतसिंह ने रोबदार चेहरे और वर्दी साहब ने नोटबुक निकालकर सिपाही को सिर से पैर से जनरल रावर्ट को पहचान कर फ़ौजी सलाम किया और तक देखकर कहा-"वेल ! तुम किस रेजिमेंट का सिपाही खत निकाल कर आगे बढ़ाया। जनरल राबर्ट खत लेकर है ? क्या नाम है ?"
उसी समय पढ़ने लगे और फिर कुछ विचार करते __ "नवी भूपाल इनफेंट्री, जाट-कम्पनी नं० ३, नाम हुए बोलेचेतसिंह ३३३ नं०।
"शाबाश बहादुर ! तुम्हारा नाम क्या है ?" ___ "वेल चेतसिंह ! हमारा ख़त ब्रिगेडियर जनरल राबर्ट __ "चेतसिंह नं ० ३३३, नवीं भूपाल इन्फेंट्री जाट कम्पनी के पास ले जा सकता है ? दुश्मन ने रात के तूफान में नं. ३।" नाले पर कब्जा कर लिया है। तुमको दुश्मन के बीच से "अच्छा चेतसिंह ! तुम्हारे काम से हम बहुत खुश : नाला पारकर जाना पड़ेगा । मुश्किल काम है। है। क्या इस ख़त का जवाब जनरल एलिस के पास ले जानता है ?"
जा सकता है ? तुम्हारा दर्जा बढ़ा दिया जायगा। तुमको ___ “हुज़र ! जानता हूँ। हमको अच्छा घोड़ा मिलना इनाम मिलेगा।" चाहिए । हम आपका ख़त पहुँचा देंगे।"
"हुजूर, बेशक ले जायगा। हमको अच्छा घोड़ा "अच्छा, अच्छा, शाबाश ! हम अपना खास घोड़ा मिलना चाहिए।" तुमको देगा।"
___ “वेल बहादुर ! हम अपना ख़ास घोड़ा देता है। जनरल एलिस ने चिट्ठी लिखकर चेतसिंह के हवाले. घोड़ा लाया गया और चेतसिंह जेनरल राबर्ट का
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