Book Title: Saraswati 1937 01 to 06
Author(s): Devidutta Shukla, Shreenath Sinh
Publisher: Indian Press Limited

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Page 466
________________ भारतीय बीमा-व्यवसाय की प्रगति लेखक, श्रीयुत अवनोन्द्रकुमार विद्यालंकार बीमा का महत्व शुरू किया। १८९७ में 'इण्डियन म्युच्युअल कम्पनी', a gs माज व राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक कलकत्ता, एम्पायर अाफ़ इण्डिया कम्पनी, बम्बई, की जीवन में बीमा का क्या स्थान है, स्थापना हुई। इसके बाद लाहौर की भारत-बीमा-कम्पनी इसको भारतीय जनता ने अभी तक स्थापित हुई। १८७१-१९०६ तक बीमा-कम्पनियों की ठीक प्रकार से हृदयंगम नहीं किया संख्या ५-६ से अधिक नहीं बढी। १९०६ के बाद स्वदेशी FASPAPER है। आन्तरिक और अन्तर्राष्ट्रीय आन्दोलन से अन्य व्यवसायों के समान इसका भी बल व्यापार के लिए बीमा सबसे अधिक मिला। उस समय की मिली हुई उत्तेजना का ही यह आवश्यक है । कोई भी व्यवसायी अपना माल भेजने का फल है कि बीमा-व्यवसाय धीरे धीरे मगर स्थिरता के साहस न करेगा जब तक कोई बीमा कम्पनी उसकी सुरक्षा साथ तरक्की करता जा रहा है। की ज़िम्मेवारी अपने ऊपर न ले। कोई भी व्यवसायी १९२४ तक यह प्रगति बहुत धीमी थी। इस साल कोई नया कारखाना व स्टोर न खोलेगा जब तक उसका बीमा कम्पनियों की कुल संख्या केवल ५३ थी। १९३४ में बीमा न करा लेगा। बीमा केवल आग लगने के भय से यह बढ़कर १९४ होगई। ही नहीं, बल्कि आग लगने के फलस्वरूप होनेवाले नुक-. १९१२ व १९२८ के बीमा-कम्पनी-एक्ट के मुताबिक सानों के कारण भी आवश्यक है। इसी प्रकार कोई माल १९३४ के साल इस देश में बीमा का काम करनेवाली भारत से बाहर विदेश नहीं भेजा जा सकता जब तक कम्पनियाँ इस प्रकार थींउसका सामुद्रिक बीमा न हो गया हो। कोई भी व्यक्ति हिन्दस्तान में केवल जीवन जीवन बीमा केवल दूसरे अपना मोटर बिना बीमा कराये सड़क पर चलाने का वर्ष कुल रजिस्टर्ड बीमा का काम व दूसरे काम बीमा करने करनेवाली करनेवाली वाली साहस न करेगा। यह केवल इसीलिए नहीं कि सड़क १९३२ ४१९ १६९ १२४ २९ १६ ख़राब होने से मोटर में पंचर हो जाने का अन्देशा है या १९३३ ४४१ १९४ - १४५ ३४ १५ मोटर-दुर्घटना से क्षति पहुँचने का भय है, बल्कि इसलिए १९३४ ४६६ २१७ १६५ ३६ भी कि कोई तीसरी पार्टी हर्जाने का दावा न कर दे। १६ इसी प्रकार वैयक्तिक जीवन में दरदशी श्रादमी अपने २१७ भारतीय बीमा कम्पनियों का प्रान्तवार विवरण जीवन का बीमा कराते हैं. जिससे उनका परिवार उनके इस प्रकार हैपीछे निराश्रित न रहे। यही नहीं, इससे बाधित रूप से बम्बई ६१ सिंध १४ बंगाल ४१ मितव्ययिता की आदत पड़ती है। जीवन-बीमा के रूप में दिल्ली १० जमा रुपया राष्ट्र की एक सम्पत्ति होता है, जिससे नये नये मदरास ३७ संयुक्त-प्रांत. १० उद्योग-धंधे चलते हैं और नये नये कारबार खुलते हैं। पंजाब. इतर प्रांत १५ २९ यद्यपि बीमा व्यवसाय हमारे देश में १८७१ से प्रारम्भ १४९ विदेशी कम्पनियों में से १२५ के अतिरिक्त हुअा है, तथापि इसकी विशेष प्रगति पिछले पन्द्रह सालों अन्य जीवन बीमा के अलावा अन्य प्रकार का बीमा का में ही हुई है। मगर अब भी हमारे देश के जनसाधारण __ भी कार्य करती हैं । विदेशी कम्पनियों का देश-विभाग इस भा काय करता है । विदश की दृष्टि में जीवन-बीमा का महत्त्व नहीं चढा है। प्रकार है. भारतीय बीमा-व्यवसाय की प्रगति ग्रेट ब्रिटेन ६९ अमरीका १६ १८७१ में पहले-पहल 'बाम्बे-म्युच्युअल कम्पनी' की ब्रिटिश साम्राज्य के इतर देश २० जापान ९. स्थापना हुई। १८७५ में 'अोरियण्टल कम्पनी' ने काम योरपीय देशों की २० जावा ५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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