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‘सरस्वती
[भाग ३८
व्यक्ति हैं जो अपने धन का सदुपयोग करते हैं, वैज्ञानिक प्रकार के कीटाणु तैयार किये थे और हाथ में शीशी टूट अाविष्कारकों को प्रोत्साहन देते हैं । हम लोग अनेक विचित्र जाने के कारण मे ही उनका शिकार हो गया, क्यों क काँच अाविष्कार कर भी चुके हैं और अाज-कल एक ऐसे के एक टुकड़े से मेरा हाथ कट गया था। उसके कीटाणुओं
विष्कार में लगे हुए हैं जो प्राकृतिक बन्धनों को भी के प्रभाव से मैं शायद पागल हो गया था। उसी अवस्था में नितान्त निबल सिद्ध कर देगा, जो विश्व में हलचल मचा में समुद्र में कूद गया, किन्तु डबा नहीं, बचा लिया गया। देगा । हमें उसके लिए रुपये की आवश्यकता है । रुपया जब मैं होश में लाया गया था तब मुझे मिस्टर राबट ने प्राप्त करने का साधन अत्याचार भी हो सकता था। बहुत-से बताया था कि वे एक छोटे-से 'स्टीमर' में बैठे जा रहे थे कि वैज्ञानिक मृत्यु का भय दिखाकर रुपया प्राप्त करने पर उन्होंने मुझे लकड़ी के एक बड़े कुन्दे से लिपटा हुआ लहर बाध्य हुए भी हैं। किन्तु हम सोचते हैं कि हमें व्यक्तिगत के थपेड़ों से आगे बढ़ता देखा। उनके कहने से र लाभ के लिए रुपये की आवश्यकता नहीं। यदि उचित समुद्र में कूद पड़ा और मुझे निकाल लाया । मैं बेहोश था, रीति से धन प्राप्त हो सके तो अनुचित रीति का प्रयोग वे मुझे अपनी विज्ञानशाला में ले गये और वहाँ मुझे क्यों किया जाय?"
अच्छा कर लिया। मुझे वहीं ज्ञात हो गया था कि मेरी ___"मैं आपके विचारों से सहमत हूँ, किन्तु एक बात विज्ञानशाला मेरे पीछे जल कर भस्म होगई। इस लए नहीं समझ सका। गुंत स्थान पर विज्ञानशाला बनाने का उसके बाद मैं उन्हीं के साथ काय करने लगा। उन्हें एक क्या प्रयोजन ?"
सहायक व्यक्ति की अावश्यकता भी थी और उनका मेरे "उस विज्ञानशाला के विषय में भी एक विचित्र ऊपर अधिकार भी था। उन्होंने मेरे प्राणों की रक्षा कहानी है। उसके विषय में आपको सब कुछ ज्ञात हो की थी।" जायगा। वह विज्ञानशाला बहुत पुरानी है-शायद "ये मिस्टर राबर्ट कौन हैं ?..." सदियों पुरानी। हममें से किसी ने उसे नहीं बनाया। "मेरे अाग्रह करने पर उन्होंने अपने विषय में भी एक विज्ञानशाला को गुप्त रखने से भी बहुत लाभ हैं। चाहे लम्बी कहानी बतलाई थी। वे भी एक केमिस्ट हैं। स्वतन्त्रता कितनी भी हो, किन्तु फिर भी वैज्ञानिकों के एक दिन जङ्गल में घूमते हुए, वृक्षों के झुरमुट में, पृथ्वी लिए प्रतिबन्ध होते ही हैं। उनसे अाविष्कारों में बाधा में एक बड़ी सुरङ्ग देखकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुअा। वे पड़ती है। इसके अतिरिक्त अनेक उत्सुक सज्जनों का सुरङ्ग के अन्दर चले गये। सुरङ्ग काफी लम्बी थी। अन्दर धावा भी होता रहता है, जिससे बहुत-सा समय नष्ट हो अँधेरा था, टाच उनके पास थी। टाच के प्रकाश की सहाजाता है।"
यता से वे आगे बढ़ते चले गये, बढ़ते चले गये और थोडी , ' कुछ देर स्विम निस्तब्ध बैठा रहा, मानो कुछ सोचने ही देर में एक कमरे में पहुँच गये। कमरे में अन्धकार का प्रयत्न कर रहा हो। फिर अचानक सजग होकर उसने था, टार्च के प्रकाश में उन्होंने देखा कि बहुत-से कहा-"मिस्टर जेम्स ! यापका नाम कुछ परिचित-सा जान विचित्र यन्त्र वहाँ टावल पर लगे हुए हैं, इधर-उधर पड़ता है। शायद छः-सात महीने हए, मैंने समाचार-पत्र बहुत-सी बड़ी बड़ी मोमबत्तियां लगी हुई हैं, जिनमें में पढ़ा था कि एक वैज्ञानिक ने समुद्र में कूदकर यात्म- कुछ पूरी और कुछ अाधी जली हुई थीं। रविट ने हत्या कर ली है और उसी रात को उसकी विज्ञानशाला में सब मोमबत्तियों को जला दिया, कमरे में काफ़ी प्रकाश श्राग लग गई। ठीक मुझे याद नहीं रहा, किन्तु शायद होगया। सब वस्तु पर गर्द जमी हुई थी। उसे देखने उसका नाम भी जेम्स ही था श्रोर इसी नाम के वैज्ञानिक से प्रतीत होता था कि पचासों वर्ष से वहाँ कोई गया नहीं के अाविष्कारों के विषय में उससे पहले भी मैंने बहुत था। प्रकाश में देखने से ज्ञात हुआ कि कमरा बहुत बड़ा कुछ पढ़ा था।"
है। वे आगे बढ़े हो थे कि सामने के कोने में एक विचित्र "हाँ मैं वही जेम्स हूँ। वह भी एक बहुत विचित्र घटना वस्तु देखी। जंजीर के सहारे काँच का एक बहुत हो गई थी। अपने जाल में मैं स्वयं फंस गया था। मैंने एक बड़ा यन्त्र छत से लटका हुआ था और उसके नीचे एक
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