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हैं। उनका विश्वास ठोस चीज़ में है। हवा से बातें करना उन्हें पसन्द नहीं । भविष्य की आशा में वर्तमान को क़त्ल कर डालना उनके स्वभाव में नहीं पाया जाता ।
सरस्वती
"अँगरेज़ श्रमली जीवन का महत्त्व देता है । कल्पना ar विश्वास और तुच्छता की दृष्टि से देखता है । इस बात पर विचार करने में उसे स्वाभाविक रूप से घृणा मालूम होती है कि भविष्य में क्या होगा । इसलिए वह पहले से कभी अपने को किसी मार्ग या नीति के लिए वचनबद्ध करना पसन्द नहीं करता । उसे इस बात का खूब ज्ञान होता है कि अगर मामले ने कोई रूप धारण किया तो जो उचित होगा, कर लेगा । भविष्य की परेशान करनेवाली घटनाओं का आज से ही मुकाबिले के लिए "तैयार होना उसे पसन्द नहीं ।
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"अँगरेज़ अपनी बात का भी धनी होता है। जब वह हाँ कर देता है, उसका मतलब 'हाँ' ही होता है । उसमें
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इतनी निर्भीकता होती है कि 'नहीं' कह सकता है । अँगरेज़ बच्चों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि झूठ बोलना बड़ी जिल्लत की बात हैं और किसी को झूठा कहना घोरतम अपमान है ..... " ·
किन्तु मिस्टर गौबा का यह भाषण एकाएक रुक गया । गाड़ी एकदम ठहर गई । खानसामे ने श्राकर साहब का असबाब बाँधना शुरू कर दिया। मेम साहब बिस्तर से उढकर खड़ी हो गई । तीन मिनट के अन्दर साहब और • मेम साहब डिब्बे के बाहर चले गये ।
राजा हरपाल सिंह ने करवट बदली। उन्होंने पूछा"साहब बहादुर गये ?”
"हाँ, महाराज ।” वेदवत जी ने कहा ।
"मेम से बियाह किहिन है ?"
"हाँ, महाराज । "
"बड़े बकबासी जान पड़त हैं। दिमाग़ चाट गये ।”
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रजनी
लेखक, नत्थाप्रसाद दीक्षित, मलिन्द
( १ )
है तम- कालिमा व्याल कराल की, श्यामल पंक्ति छटा छिटकाई । पथ-सा सुर वारण जो वही, विष्णुपदी नदी शीश सुहाई । है नखतावली मुण्ड की माल, विशाल विभा की विभूति रमाई । इन्दु-सा विन्दु ललाट लगा, शिव-सी सजनी रजनी बनि आई । ( २ )
पूजने को किस देवता के पुष्पाक्षत अञ्चल में भर लाई । माल मराल की मंजु बना, युति मानसरोवर की हर लाई । नीलम थाल में आरती के लिये, सुन्दर दीप जलाकर लाई । साज सजाये सदा रहतीं, जब से द्विजराज को हो वर लाई ।
( ३ ) इस भाँति से यों चुपचाप भला, किस भाँति कहाँ किससे सुषमा-भरे श्यामल रूप से, है जगती का किससे यह चाँदनी चादर, कैरव-नेत्र कटाक्ष मणिचन्द्र की पाई कहाँ तुम्हें तारक मोतियों का ये खजाना मिला ।
बतलाना मिला | लुभाना मिला ? चलाना मिला ?
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