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सरस्वती
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[भाग ३८
पौधों और बीच में गोलाकार हरी मेथी से सज्जित थीं। हर गोलाकार स्थल के बीचों-बीच केले वा हज़ारा के पौधे लगाये गये थे। अरहर के हरे पौधेां को छाँटछाँटकर जगह-जगह 'वन्दे मातरम्' पृथ्वी पर उगाया गया था। किसान-परिषद में आनेवाले किसानों के ठहरने के लिए तिलक-नगर से बाहर ३,००० आदमियों के लिए व्यवस्था की गई थी। ठहरने का किराया फ़ी आदमी केवल चार अाना था और दोनों समय खाने के लिए ३) देने पड़ते थे।
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इस अधिवेशन को सफल बनाने के लिए कार्यकर्तायों ने अपना तन, मन, धन लगा दिया था। स्वयम् हाथ-पैर से दिन-रात काम किया, किसी काम को ऊँचानीचा नहीं समझा, और कम खर्च में एक सुन्दर बाँस का नगर बनाकर खड़ा कर दिया। तिलकनगर' अत्यन्त
सुन्दर और कलापूर्ण था; उसमें किसी प्रकार की बनावट [राष्ट्रपति खुले अधिवेशन में वोट-भाषण दे रहे हैं ।]
नहीं थी। सादगी में भी कितनी सुन्दरता हो सकती है, यह
तो जिन्होंने तिलकनगर अपनी आँखों से देखा है, अच्छी एक बड़ा पंडाल था, जो 'सेनापति बापट-दरवाजा' से तरह समझ सकते हैं। इस सरल सौन्दर्य के निर्माण का प्रारम्भ होता था। इसी पंडाल में कांग्रेस का खुला अधि
श्रेय शान्ति-निकेतन के सुप्रसिद्ध कलाकार श्री नन्दलाल वेशन हृया। इस पंडाल में महिलाओं के प्रवेश के लिए वास का है। उन्होंने ही उस छोटे सुन्दर रथ को बनाया 'झाँसी की रानी-फाटक' बना था। तिलकनगर के था, जिसमें राष्ट्रपति का जलूस निकला था। उन्होंने मुझे बाहर नदी की अोर 'शोलापुर-शहीद-फाटक' था। खुले बतलाया कि एक पुराने रथ में केवल सात रुपये खर्च अधिवेशनवाले पंडाल के बिलकुल भीतर 'तिलक-फाटक' करके वह कलापूर्ण वाहन बनाया गया था। नगर के बना था। सुभाष-फाटक से भीतर पाते ही बाई अोर दरवाज़ और महास पोस्ट-ग्राफ़िस, तार-ग्राफ़िस, टेलीफोन-श्राफ़िस. पत्र-संवाद- बहुत ही खूबसूरत बनाया गया था। दाताओं की झोपड़ी थी। इससे ज़रा आगे हटकर कांग्रेस का
X विषय-निर्धारिणी समिति-मण्डप और उससे सटे हुए नेताओं के निवास-गृह थे। नेताओं के निवास-गृह के पीछे स्त्रीस्वयं-सेविकानों का शिविर था। विषय-निर्धारिणी समितिमंडप के आगे की ओर परिवार-सहित आनेवाले दर्शकों के ठहरने का स्थान था। सुभाष-फाटक से गुज़रते ही दाहिनी अोर विभिन्न बातों की जानकारी का दार था।
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तिलकनगर की मुख्य सड़क के आस-पास श्री नन्दलाल बोस के नियंत्रण में अत्यन्त सुन्दर कतारें बनाई गई थीं। इन समानान्तर कतारों के दोनों बाजू चने के
[प्रदर्शनी के सामने जन-समूह ।
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