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संख्या २]
सम्पादकीय नोट
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रहते थे। अापकी मृत्यु से हिन्दी के एक महारथी का तथा स्वतन्त्र प्रकृति के सम्पादक थे। आपको ऐसे ही अभाव हुआ है। आपके तीन पुत्र हैं, जिनमें रायसाहब उदात्त स्वभाव के कारण इस वृद्धावस्था में कठिन अार्थिक श्री कौशलकिशोर जी शिक्षा विभाग में हैं। आपको भी संकट का सामना करना पड़ा। इन दिनों में 'विश्वमित्र' हिन्दी से बड़ा अनुराग है। इस दुःखद अवसर पर हम में आपकी पाण्डित्यपूर्ण 'अात्मकथा' छप रही थी। खेद आपके परिवार के प्रति अपनी समवेदना प्रकट करते हैं। है, वह पूरी न हो सकी। आपकी मृत्यु से हिन्दी के क्षेत्र
से उसके एक अनन्य प्रेमी का अभाव हो गया है। आपके पण्डित अमृतलाल च
दुखी परिवार के प्रति हम यहाँ अपनी समवेदना प्रकट दुःख की बात है कि ५ जनवरी को पण्डित अमृतलाल करते हैं । चक्रवर्ती का देहावसान हो गया। आप बंगाली होकर
वास
__ भारत और जहाज़ी कम्पनियाँ संसार के सभी शक्तिशाली राष्ट्रों की अपनी अपनी जहाज़ी कम्पनियाँ हैं, जो देश का व्यापार आदि सफलतापूर्वक चलाती हैं। इनमें जापान की कंपनियों की प्रतिद्वंद्विता से तो ब्रिटेन जैसी महान् समुद्री शक्ति भी विचलित हो गई है। उस दिन लंदन में इस सम्बन्ध में पी० एंड यो कम्पनी के मिस्टर अलेक्जेंडर शा ने जो भाषण किया है उससे प्रकट होता है कि जापान इस क्षेत्र में सारे संसार से बाज़ी मार ले गया है। और कदाचित् इसी परिस्थिति के कारण इटली के सर्वेसर्वा मुसोलिनी अपने यहाँ की जहाज़ी कम्पनियों का ऐसा संगठन करना चाहते हैं कि इस क्षेत्र में उनका भी देश जापान की ही तरह गरिमामण्डित हो जाय । इस तरह सभी छोटे-बड़े राष्ट्र इस विषय में सजग हैं और अपने अपने देश की जहाज़ी कम्पनियों को बढ़ाने में संलग्न हैं। परन्तु इस सम्बन्ध में भारत की बड़ी दयनीय दशा है। निस्सन्देह उत्साही व्यवसायियों ने यहाँ भी जहाज़ी कम्पनियाँ कायम करके चलाई हैं, परन्तु वे विदेशी जहाज़ी कम्पनियों के आगे नहीं ठहर सकीं और उनके दिवाले तक निकल गये।
आज भी दो-एक कम्पनियाँ लस्टम-पस्टम चल रही हैं। स्वगीय पण्डित अमृतलाल चक्रवती यह तो काम देश की सरकार का है कि वह भारतीय भी हिन्दी की मृत्युपर्यन्त सेवा करते रहे हैं । अापने हिन्दी कम्पनियों की रक्षा करे । परन्तु उसने इस अोर जैसा वंगवासी, भारतमित्र. श्री वेंकटेश्वर कलकत्ता-समाचार चाहिए, ध्यान ही नहीं दिया है। भारत जैसे बड़े भारी
आदि का बड़ी योग्यता से सम्पादन किया। आप बड़े अनुभवी देश के अनुरूप जिसका समुद्री तट भी बहुत बड़ा है, पत्रकार थे। हिन्दीवालों ने श्रापको साहित्य-सम्मेलन के अपनी जहाज़ी कम्पनियाँ कहाँ हैं ? अाज यदि भारत की वृन्दावन के अधिवेशन का सभापति बनाकर • आपका अपनी जहाज़ी कम्पनियाँ होती और अपने देश का तटवर्ती समुचित सम्मान किया था। आप बड़े स्पष्ट वक्ता, निर्भीक तथा देशान्तर का भी सारा व्यापार उसके हाथ में होता
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