________________
२०४
सरस्वती
स्वर्गीय अवधवासी वाला सीताराम दुःख की बात है कि प्रयाग के रायबहादुर लाला सीताराम का पहली जनवरी की रात को स्वर्गवास हो गया। आप वयोवृद्ध थे, पर आपका स्वास्थ्य सदा अच्छा रहा । साल भर हुग्रा, आपके जेठे पुत्र की मृत्यु हो गई
]
[ स्वर्गीय अवधवासी लाला सीताराम थी। इस शोक का आप पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा. और आप विरक्त-सा हो गये थे।
श्रीमान् लाला जी हिन्दी के पुराने लेखकों में थे ।
Shree Suc
[भाग ३८
प्रारम्भ में आपने उर्दू में लिखना शुरू किया था। परन्तु शीघ्र ही हिन्दी की ओर झुक गये और हिन्दी में भी लिखने लगे। इनका मेघदूत सन् १८८३ में छपा था। तब से आप हिन्दी में बराबर लिखते रहे। पहले कालिदास के. ग्रन्थों का हिन्दी में अनुवाद किया, फिर शेक्सपियर के नाटकों का। अयोध्या का इतिहास और अयोध्या की झाँकी लिखकर आपने अपनी जन्मभूमि के प्रति अपने प्रेम का परिचय दिया है। आप अपने नाम के पहले 'अवधवासी' ज़रूर लिखते थे । कलकत्ता विश्वविद्यालय के लिए आपने हिन्दी सेलेक्सस नाम से रसों के अनुसार कविताओं का एक महत्त्वपूर्ण संग्रह तैयार किया है। आप गद्य-पद्य दोनों के लिखने में कुशल थे ।
आपका जन्म सन् १८५८ की २० जनवरी को अयोध्या में हुना था । १८८९ में आपने बी० ए०. पास किया । इसके बाद ग्राप बनारस में कींस कालेज के स्कूल में अध्यापक हो गये । १८९० में वकालत पास की। १८९५ में आप डिप्टी कलेक्टर नियुक्त किये गये । १९११ में आपने पेंशन ले ली और प्रयाग में रहने लगे। यहाँ साहित्य-सेवा और भगवद्भजन में अपना समय व्यतीत किया ।
श्राप बड़े साहित्यानुरागी तथा विद्वान् थे । राम और रामायण के अनन्य भक्त थे । रामायण के शुद्ध पाठ के उद्धार के सम्बन्ध में आपने सबसे पहले प्रयास किया। आपने रामायण के संस्करणों का अच्छा संग्रह किया है। भिन्न भिन्न समय समय पर आप खोजपूर्ण लेख लिखते
mandar.com