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संख्या ४]
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भूले हुए हिन्दू
को सौदाबाज़ी के लिए तैयार किया तब ब्रिटिश गवर्नमेंट मिटाना चाहते हैं उनको यह बात किसी तरह अपील नहीं ने (जिसके पास इस समय सभी इख्तियारात हैं) कर सकती। मुसलमानों को कांग्रेस से हटाकर अपनी तरफ़ करने के तीसरा ख़याल यह है कि वर्तमान विधायक परिवर्तन लिए इस नीलामी में ज़रा आगे बढ़कर बोली देनी शुरू या उन्नति कांग्रेस की कुरबानियों का नतीजा है। इस बात को । अाम मुसलमानों में देशभक्ति नहीं है । वे हर बात में का ज़रा विश्लेषण कीजिए । कांग्रेस के नेताओं के कथनाअपने संप्रदाय के स्वार्थ को ही देखते हैं। फलतः जब नुसार अगर नया विधान पहले से बुरा है तो उस हालत गवर्नमेंट की तरफ़ से ज़्यादा कीमत मिली तब महात्मा में कांग्रेस अपनी कुरबानियों पर कोई गर्व नहीं कर सकती। गांधी और कांग्रेस के सूखे वादों और कोरे चेकों की और, अगर यह विधान पहले से अच्छा है तो जैसा कि मुसलमानों ने कोई परवा न की (वे जानते थे कि कांग्रेस ऊपर कहा गया है. इसके लिए ब्रिटिश गवर्नमेंट ज़िम्मेदार के इख्तियारात के बंक में एक पाई भी नहीं है) और है, क्योंकि ब्रिटिश गवर्नमेंट महायुद्ध की समाप्ति पर गवर्नमेंट के साथ खुले आम जा मिले। परिणाम वही पार्लिमेंट में की गई घोषणा के अनुसार भारत में एक हा जो इस मार्ग पर चलने से हो सकता था। महात्मा डेमोक्रेटिक या प्रजासत्तात्मक विधान प्रचलित करने के गांधी और कांग्रेस की हिन्दू-मुस्लिम एकता की 'थियरी' लिए बाध्य थी। यही कारण था कि राजनैतिक सुधार या कल्पना ले-दे कर थियरी ही रही। इसके लिए हिंदुओं का पहला भाग गवर्नमेंट ने खुद दिया। “एक वर्ष के की तरफ़ से की गई कुरबानियाँ न सिर्फ व्यर्थ गई, बल्कि अन्दर स्वराज्य" का आन्दोलन सर्वथा असफल रहा। इनते उलटा उनको एक नुकसान यह हुआ कि मुस्लिम इसके बाद जब साइमन-कमीशन का समय आया तब कांग्रेस बहु-जन संख्यावाले प्रान्तों में मुसलमानों को विधायक ने इसका बहिष्कार किया। फिर भी कमीशन की रिपोर्ट में । (स्टेचुटरी) या अपरिवर्तनीय बहुमत दे दिया गया । इस न सांप्रदायिक निर्णय-जैसी कोई ज़हरीली चीज़ है, न किसी कल्पना की ऐतिहासिक भल को जानते हए मैं एक समय से सम्प्रदाय, उदाहरणार्थ मुसलमानों, के लिए कोई खास यह कहता चला आ रहा हूँ कि हिन्दू-मुस्लिम एकता का रियायत और न अछूतों को हिन्दुओं से पृथक करके एकमात्र तरीका यह है कि पहले हिन्दुओं को संगठित और अलग अधिकारों का लालच दिया गया है। साइमनबलवान् बनाया जाय । हिन्दुओं के संगठित एवं बलवान् रिपोर्ट के बाद यह सब कुछ नये विधान में डाल दिया होने पर अन्य सभी संप्रदाय स्वयमेव हिन्दुओं के साथ गया, क्योंकि कांग्रेस ने अपना अांदोलन ग़लत रास्ते पर एकता करेंगे। इसके अतिरिक्त यह बात कि अगर हिन्दुओं चल कर किया। मैं नहीं कह सकता कि अब पंडित के देश हिदुस्तान में हिन्दुओं की संस्कृति की तरफ कोई जवाहरलाल के नये आंदोलन में हिन्दुओं के लिए क्या ध्यान न दिया जाय तो फिर और किस जगह कौन इस बदा है। लेकिन अगर भूले हुए हिन्दू ज़रा सोगे तो तरफ़ ध्यान देगा? हाँ, जो लोग हिन्दुओं की संस्कृति को उन्हें इसका भी पता लग जायगा।
सरिता
लेखक, श्रीयुत मदनमोहन मिहिर । शिला फोड़कर उमॅग रही हो
भरती हुई उछाल डगामग ___ऐसा क्या उद्वेग हृदय में।
सरित जा रही हो किस तट को।... कल-कल कलित नाद अन्तर का
पङ्किल जग की कलुष-कालिमा मिला रही हो किसकी लय में।
सावित कर ले चलो प्रलय में।.
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