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सरस्वती
• [भाग ३८
की सहायता से स्पेन में भी फैसिस्ट सरकार की यदि स्थापना दुर्दशाग्रस्त है। उसके प्रसिद्ध देशभक्त डाक्टर सनयात हो जायगी तो उस स्थिति में फ्रांस बड़ी जोखिम में पड़ सेन ने सन् १९११ में इस उद्देश से क्रान्ति करके चीन में जायगा, क्योंकि वह तीन ओर से फैसिस्ट राज्यों से घिर प्रजातन्त्र की स्थापना की थी कि चीन शक्तिमान होकर जायगा। इसके सिवा भूमध्य-सागर का उसका अफ्रीका संसार के राष्ट्रों में अपना उचित स्थान प्राप्त करे। परन्तु का मार्ग भी संकट में पड़ जायगा। उस दशा में वह नहीं हुआ, साथ ही रही-सही अपनी प्रतिष्ठा भी गँवा आश्चर्य नहीं कि फ्रांस में भी फैसिस्ट सरकार की स्थापना बैठा । हाँ, इधर जब से चियांग-कै-शेक ने चीन में नानकिंग का प्रयत्न हो।
की राष्ट्रीय सरकार की स्थापना की है और चीन के हितों वास्तव में इस समय ब्रिटेन और फ्रांस की जो मैत्री की रक्षा करने में अपने चातुर्य का परिचय दिया है तब से है वह महायुद्ध के काल जैसी नहीं है । जर्मनी के विरुद्ध निःसन्देह उसकी स्थिति में बहुत कुछ स्थिरता आ गई है। शस्त्र ग्रहण करने को ब्रिटेन तैयार नहीं है और न फ्रांस यह सही है कि इन्हीं के समय में जापान ने मंचूरिया को इटली के विरुद्ध शस्त्र ग्रहण करने को तैयार है । हाँ, छीनकर अपने अधिकार में कर लिया है और इससे चीन यदि ब्रिटेन या फ्रांस पर इनमें से कोई आक्रमण करे तो की मर्यादा को भारी धक्का पहुँचा है और इन्होंने आज • बेशक ये दोनों राष्ट्र आत्मरक्षा की भावना से मिलकर तक उसका प्रतीकार नहीं किया। परन्तु अबीसीनिया की
आक्रमणकारियों से युद्ध करेंगे। इस बात को इटली और गति देखते हुए च्यांग-कै-शेक की बुद्धिमानी की प्रशंसा ही जर्मनी दोनों अच्छी तरह जानते हैं। इसी से वे दोनों की जायगी कि उन्होंने हेल सेलासी बनने से बार-बार इनस्पेन में अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं और ब्रिटेन कार किया। उन्होंने जापान से लड़ना उचित नहीं समझा तथा इटली के हाल के समझौते ने उन्हें और भी उत्तम और वे अपने राष्ट्र को ऐक्य के सूत्र में अाबद्ध करने के काम अवसर प्रदान कर दिया है । यद्यपि यह एक प्रकार से स्पष्ट में ही लगे रहे । फलतः वे कैंटन की सरकार के तोड़ने में है कि फ्रांस की और उसके साथ ब्रिटेन की भी सहानुभूति सफल हुए और इस प्रकार मध्य-चीन और दक्षिण-चीन स्पेन की सरकार के प्रति है, परन्तु ये दोनों उसके पक्ष में को एकता के सूत्र में बाँध दिया। इधर हाल में वे पश्चिमी हस्तक्षेप करके इटली और जर्मनी से बैठे-बिठाये लड़ाई प्रान्तों के बोल्शेविक विद्रोहियों के दमन में इसलिए लगे मोल नहीं लेना चाहते । फिर ब्रिटेन का स्पेन के मामलों थे कि चीन के उस भाग पर भी राष्ट्रीय सरकार की प्रधासे कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं है। और जिस बात से उसका नंता कायम हो जाय । इसी सिलसिले में वे वहाँ हाल में गये सम्बन्ध है उसे इस सन्धि से उसने स्पष्ट कर लिया है। थे, परन्तु यहाँ एकाएक एक विलक्षण घटना घटित हो गई। इटली ने वचन दे दिया है कि वह भूमध्य-सागर की शेसी-प्रदेश की सेनाओं के सेनापति चंग स्यूह-लियांग ने वर्तमान स्थिति को स्वीकार करता है और स्पेन के किसी विद्रोहियों के षड्यंत्र में शामिल होकर च्यांग-कै-शेक को
टापू को अपने अधिकार में करके वहाँ फ़ौजी किलेबन्दी गिरफ्तार कर लिया और राष्ट्रीय सरकार से यह मांग की .. नहीं करेगा।
कि जापान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा तथा रूस से मित्रता इसमें सन्देह नहीं कि इस समय संसार की अन्तर्राष्ट्रीय स्थापित की जाय। उनके इस विद्रोह से सारे चीन में दशा वास्तव में जोखिम से भरी हुई है और अधिकारी व्यक्ति सनसनी फैल गई। परन्तु राष्ट्रीय सरकार के अन्य मंत्रियों उसे काबू में रखने के अपने प्रयत्न में बराबर असफल हो ने समय के उपयुक्त दृढ़ नीति से काम लिया । इस अवसर
. पर जहाँ उन लोगों ने विद्रोहियों का दमन करने के लिए
युद्ध की तैयारी की, वहाँ आपसी समझौते की भी बातचीत . चीन की एक महत्त्वपूर्ण घटना
शुरू की। इस बातचीत में आस्ट्रेलिया के मिस्टर डब्ल्यू० चीन संसार का सबसे बड़ा राष्ट्र है-क्या आबादी एच० डोनाल्ड ने प्रमुख भाग लिया। बातचीत के फल' की दृष्टि से, क्या क्षेत्रफल की दृष्टि से और क्या प्राचीनता स्वरूप च्यांग-कै-शेक १५ दिन की कैद के बाद छोड़ दिये
की दृष्टि से । परन्तु दुर्भाग्य से वह एक लम्बे ज़माने से गये और चंग स्यूह-लिंग ने भी आत्मसमर्पण कर दिया।
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