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हास पारहास
प्रसिद्ध चित्रकार श्री केदार शर्मा ने बिहारी के दोहों पर कुछ और व्यङ्गय चित्र बनाये हैं । उनमें से दो हम यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं।
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2010
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बर जीते सर मैन के, ऐसे देखे मैन । हरिनी के नैनान ते, हरि नीके ये नैन ।
सहज सचिक्कन स्याम रुचि, सुचि सुगन्ध सुकुमार । गनत न मन पथ अपथ लखि, बिथुरे सुथरे बार ॥
एक मासिक पत्रिका में उसके सम्पादक महोदय "हिन्दी का समालोचना-साहित्य इस समय जिस मार्ग लिखते हैं----
पर अग्रसर हो रहा है वह मार्ग किसी प्रकार भी घृणा के "हम लोग अपनी लेखनी पर किसी प्रकार का भी योग्य नहीं है।" नियंत्रण नहीं चाहते । यह बात हमारे मित्रों तथा शत्रुओं सम्भवतः ये दोनों सम्पादक अपनी अपनी पत्रिकाओं को कान खोलकर सुन लेनी चाहिए।"
एक दूसरी मासिक पत्रिका के सम्पादक महोदय का होलिकाङ्क निकालने की तैयारी कर चुके हैं। लिखते हैं
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