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संख्या १]
सम्पादकीय नोट
१०३
विवाद हुआ उससे प्रकट होता है कि दक्षिण-भारत में विशेष महत्त्व का सूचक है । वह यह कि उन्होंने अपनी हिन्दी ने अपना उचित स्थान प्राप्त कर लिया है । उक्त अव- सेवा-परायणता, स्वाथ-त्याग और अदम्य साहस से अपने सर पर सीनेट के कई प्रमुख सदस्यों ने हिन्दी का विरोध करते हुए अपने भाषणों में साफ़ साफ़ कह दिया कि हिन्दी का इच्छित विषयों में स्थान देने से कनाडी की हित-हानि होगी, इसके सिवा यह प्रस्ताव अन्यायमूलक भी है। परन्तु विरोधियों की एक बात भी नहीं सुनी गई और प्रोफेसर ए० आर० वाडिया का मूल-प्रस्ताव बहुमत से पास हो गया। ये बातें प्राशाजनक हैं और इनसे यही प्रकट होता है कि हिन्दी का दक्षिण-भारत में अच्छा प्रचार हो गया है । वहाँ की इस अवस्था से हिन्दी के केन्द्र स्थान संयुक्त प्रान्त को शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए और अपनी अकर्मण्यता के लिए पश्चात्ताप। क्या संयुक्त प्रान्त में हिन्दी का उतना भी प्रचार नहीं है कि वह प्रान्तीय सरकार के कचहरी-दरबार में अपना समुचित स्वत्व प्राप्त कर सके ? इस सम्बन्ध में दक्षिण भारत बहुत आगे बढ़ गया है और इसके लिए वहाँ के हिन्दी-प्रेमी जो महत्त्व
का काय कर रहे हैं वह अन्य प्रान्तों के निवासियों के लिए सर्वथा अनुकरणीय है।
राष्ट्रीय महासभा का अधिवेशन राष्ट्रीय महासभा का ५० वाँ अधिवेशन पहले की भाँति दिसम्बर के पिछले सप्ताह में बम्बई प्रान्त की देहात के फैजपुर नामक एक गाँव में हुआ है। इस अधिवेशन में
[राष्ट्रपति पंडित जवाहरलाल नेहरू । ] दो-तीन मार्के की विशेषतायें हुई हैं । पहली विशेषता यह अापको यहाँ तक लोकप्रिय बना लिया है कि आज वे भारतीय है कि यह अधिवेशन नगर छोड़कर देहात के एक गाँव राष्ट्रीय भावना के प्रतीक हो गये हैं। तीसरी विशेषता यह में किया गया है। इससे प्रकट होता है कि राष्ट्रीय महा- है कि इस बार बम्बई के उस स्थान से जहाँ राष्ट्रीय महासभा का ध्यान अब देहात की अोर विशेष रूप से रहेगा। सभा का सर्वप्रथम अधिवेशन हुआ था, राष्ट्रीय महासभा अच्छा हो, यदि प्रान्तीय एवं जिला सभात्रों के भी अधि- के स्वयंसेवकों ने पैदल चलकर फैजपुर में अधिवेशन के वेशन देहातों में ही हुश्रा करें। इससे राष्ट्रीय भावना का दिन प्रज्वलित अग्नि पहुँचाई है। इस कार्य की व्यवस्था व्यापक प्रचार हो नहीं होगा, किन्तु राष्ट्रीय महासभा की जिस ढंग से की गई है वह केवल सुन्दर और उत्साहवर्द्धक शक्ति में भी असीम वृद्धि होगी। दूसरी विशेषता यह ही नहीं सिद्ध हुई है, किन्तु उसका जनता पर काफी प्रभाव हुई है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ही इस बार फिर भी पड़ा है। इसी प्रकार राष्ट्रपति की भी ये विशेषतायें हैंराष्ट्रपति मनोनीत हुए हैं। इसी वर्ष अप्रेल में राष्ट्रीय (१) ये तीन बार राष्ट्रीय महासभा के सभापति बनाये महासभा का लखनऊ में जो अधिवेशन हुआ था उसके गये हैं । (२) ये एक के बाद दूसरे अधिवेशन के राष्ट्रपति भी सभापति पण्डित जवाहरलाल नेहरू ही बनाये गये थे। वरण किये गये हैं। (३) अपने पिता के बाद ये कांग्रेस इस बार उनका फिर राष्ट्रपति मनोनीत होना निस्सन्देह के सभापति मनोनीत किये किये हैं। (४) इनके घराने
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