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संख्या २]
साहब जी महाराज और उनका दयालबारा
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' दयालबाग के स्काउट। श्री साहब जी महाराज बीच में पंडित श्रीराम वाजपेयी और इस लेख के
लेखक महोदय के साथ बैठे है । ] ने ग्राकाश में ऊँचे उड़नेवाली फिर भी लोटकर पृथ्वी पर ही या टिकनेवाली लावा
ली लावा चिड़िया के बारे में कहा है--लावा चिड़िया अापस में बहुत कुछ मिलतजुलते हुए 'स्वर्ग' और 'स्वभवन', दोनों स्थानां. से सम्बन्ध रखती है। कविकुल सम्राट कालिदास के अभिज्ञानशाकुन्तल' नामक अमर काव्य की पालोचना करते हुए अन्तर्जातीय ख्याति प्राप्त कविवर रवीन्द्र ने कहा है कि इस काव्यश्रेष्ठ में मालूम नहीं राधास्वामी हाई स्कूल की फुटबाल टीम के खिलाड़ी जिन्होंने सन् १९३४-३५ में होता कि भूलोक कहाँ
.फुटबाल लीग कप को जीता ।] और कैसे परिवर्तित होकर स्वलोक बन गया। इन महाकवियों संसार के साथ मिलाते हैं और धर्मापदेश के साथ साथ के उपर्युक्त कथन साहब जी महाराज के सम्बन्ध में भी लागू संसार में अच्छी तरह रहना और चलना सिखाते हैं । हैं. क्योंकि वे भी अपने जीवन में सूक्ष्म अध्यात्म को स्थल Shree Sudhar hoe swami Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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