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सरस्वती ।
[भाग ३८
५००) से अधिक मासिक वेतन नहीं पायेंगे । बहुत दिन फुट ऊँचा होगा । यदि इस प्रपात से बिजली पैदा की हुए कांग्रेस ने यह प्रस्ताव पास किया था कि देश का जायगी तो १६ करोड़ घोड़े की शक्ति की बिजली प्राप्त हो शासन-प्रबन्ध जब उसके हाथों में आ जायगा तब वह सभी सकेगी। ऊँचे अफसरों का वेतन घटाकर ५००) मासिक कर देगी। इसके सिवा भूमध्य-सागर से नहर काटकर उत्तरी प्रसन्नता की बात है कि मदरास के कारपोरेशन ने अपने यहाँ अफ्रीका की कायापलट की जा सकेगी। क्योंकि सहाराउपर्युक्त श्राशय का प्रस्ताव पास कर देश के अन्य सभी मरुभूमि का अधिकांश समुद्र की सतह से नीचे है। अतएव म्युनिसिपल बोर्डों के लिए राह खोल दी है। श्राशा है, उक्त नहर-द्वारा सहारा की मरुभूमि में एक बहुत बड़ा मदरास का कारपोरेशन इसी तरह नागरिक जीवन के संगठन कृत्रिम समुद्र बनाया जा सकेगा। का भी कोई उपयुक्त आदर्श देश के सामने उपस्थित कर उधर डार्डेनेलीज़ का मुहाना बाँध देने से काले समुद्र अपने अस्तित्व की सार्थकता प्रमाणित करेगा। देश की सतह ऊँची हो जायगी । अतएव उसका अधिक पानी के अनेक नगरों के म्यूनिसिपल बोर्डों में इधर कांग्रेसमैनों कास्पियन समुद्र को पहुँचाया जा सकेगा, और कास्पियन का बाहुल्य हो गया है । इसमें सन्देह नहीं कि ऐसे उपयोगी से वह पूर्ववर्ती मरुभूमियों में । रूस-सरकार इन दोनों समुद्रों प्रस्ताव म्युनिसिपल बोडों के कांग्रेस सदस्य बहुमत न को नहर काटकर जोड़ देने का विचार कर भी रही है, रखते हुए भी दूसरे सदस्यों की सहायता से पास कर सकते क्योंकि कास्पियन सागर दिन-प्रतिदिन सूखता जा रहा है। हैं और उन्हें कार्य में परिणत भी कर सकते हैं। परन्तु यदि उक्त जर्मन कारीगर की योजना कार्य में परिणत अभी तक उन्होंने ऐसा कोई महत्त्व का कार्य नहीं किया हो जाय तो संसार के सारे बेकारों की जीविका का एक हैं जिससे यह व्यक्त होता हो कि उनके पहुंचने से स्थायी द्वार खुल जाय और इस बला से वह एक लम्बे म्युनिसिपल बोर्डों में पहले की अपेक्षा विशेषता हो गई समय तक के लिए मुक्त हो जाय । योजना के अनुसार है। आशा है, अब म्युनिसिपल बोर्डों के लोकसेवक बड़े बड़े बाँध बाँधने पड़ेंगे, नई सड़कें, और रेलवे लाइने सदस्यों में कर्तव्य-बुद्धि जाग्रत होगी और उनके द्वारा समाज बनानी पड़ेंगी, नगर बसाने की ज़रूरत होगी; क्योंकि समुद्र का वास्तविक हित हो सकेगा।
के भीतर से निकली हुई ज़मीन को आबाद करना होगा
और उसमें खेतीबारी करने की व्यवस्था करनी पड़ेगी। एक अनोखी योजना
और इस सारी कार्यवाही में संसार के सारे के सारे बेकार जर्मनी के एक कारीगर ने एक योजना तैयार की है। आसानी से जीविका से लग जायेंगे। इस योजना के कार्य में परिणत किये जाने पर आधे इस योजना में तो कोई त्रुटि नहीं है। आवश्यकता है भमण्डल का नक्शा बदल जा सकता है। इन कारीगर का इसे कार्य में परिणत करने की । और यह तभी हो सकेगा नाम हर हरमैन सोइजेल है और ये म्यूनिच के निवासी हैं। जब ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, रूस, स्पेन और तुर्की इसके
इनकी उक्त योजना का अाधार विज्ञान है । इस बात लिए राज़ी होंगे। का पता लग चुका है कि भूमध्यसागर का जितना पानी प्रतिदिन सूर्य सोख लेता है, उतना पानी उसमें गिरनेवाली
दक्षिण-भारत में हिन्दी नदियाँ नहीं पहुंचा पातीं। यदि जिब्राल्टर, स्वेज़ और दक्षिण-भारत में हिन्दी दिन-प्रति दिन लोकप्रिय होती डार्डेनेलीज़ के मुहाने बाँध दिये जायँ तो भूमध्यसागर की जा रही है। वहाँ के निवासी हिन्दी को प्रेम-पूर्वक सीख सतह दिन-प्रतिदिन गिरने लग जायगी और प्रतिवर्ष ही नहीं रहे हैं, किन्तु वे उसका वहाँ बड़ी तत्परता के साथ उसकी मीलों भूमि जल के घट जाने से बाहर निकलने लग प्रचार भी कर रहे हैं। अभी हाल में मैसूर-यूनीवर्सिटी के जायगी । और इस प्रकार जब उसकी सतह काफ़ी नीची सीनेट में यह प्रश्न उठाया गया था कि उक्त यूनीवर्सिटी हो जायगी तब जल की कमी की पूर्ति के लिए उसमें बाहर में इच्छित विषयों में अन्य भाषाओं के साथ हिन्दी को का पानी लाना पड़ेगा । इस जल-राशि का प्रपात ६५० स्थान दिया जाय या नहीं। इस पर उक्त सभा में जो वाद
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