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श्रमं = श्रब्रह्मचर्य को परित्राणामि = जानता हूँ और त्यागता हूँ
श्रमण-सूत्र
बंभ = ब्रह्मचर्यं को
उबस पजामि = स्वीकार करता हूँ क = अकल्प = कृत्य को परिश्राणामि = जानता हूँ, त्यागता
हूँ
कम्प
= कल्प = कृत्य को
उक्स पजामि = स्वीकार करता हूँ अन्नाण अज्ञान को
परित्राणामि = जानता हूँ और
त्यागता हूँ
नां = ज्ञान को
उपस ंपजामि = स्वीकार करता हूँ अकिरियं = अक्रिया को
परित्राणामि = जानता हूँ एव'
त्यागता हूँ
किरिय
= किया को
उवस 'पजामि = स्वीकार करता हूँ मिच्छत्त = मिथ्यात्व को
परित्राणामि = जानता हूँ तथा
त्यागता हूँ
सम्मत्तं = सम्यक्त्व को
उवस 'पजामि = स्वीकार करता हूँ बोहिं = बोधि को
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परिश्राणामि = जानता हूँ और त्यागता हूँ
बोदि = बोधि को
उवस पजामि = = स्वीकार करता हूँ अमगं = श्रमार्ग को परियाणामि= जानता हूँ, त्यागता हूँ मग्गं = मार्ग को
उवम पजामि
= स्वीकार करता हूँ
जं - जो
समरामि =
च = और
जं = जो
| = स्मरण करता हूँ
न = नहीं
समरामि
जं = जिसका
पडिक्कमामि
च = और
जं जिसका
For Private And Personal
= स्मरण करता
न = नहीं
परिक्रमामि = प्रतिक्रमण करता हूँ
तस्स = उस
*
प्रतिक्रमण करता हूँ
सव्वत्स = सब
देवसिस्स = दिवस सम्बन्धी ग्रइयारस्स = श्रतिचार का पडिक मामि = प्रतिक्रमण करता हूँ
समणोहं = मैं श्रमण हूँ
संजय
संयमी हूँ
·