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अतिचार-पालोचना दैनिक 'अमर' सर्व पाप-दोष मिथ्या होवें, एषणा-समिति में जो दूषण लगाया हो ।
आदाननिक्षेप-समिति वस्त्र - पात्र - पुस्तकादि पडिलेहे-पूजे विना,
देखे-भाले विना मन आया जहाँ बगाया हो। देह में घुसाया भूत आलस्य विनाशकारी,
प्रतिलेखना का श्रेष्ठ काल बिसराया हो । संयम का शुद्ध मूलतत्व सुविवेक छोड़,
सूक्ष्म जीव जन्तुओं का जीवन नशाया हो । दैनिक 'अमर' सर्व पाप - दोष मिथ्या होवें, __ आदान - समिति में जो दूषण लगाया हो ।
उत्सर्ग ( परिष्ठापना ) समिति परठने-योग्य कफ मल मूत्र आदि वस्तु,
आगमोक्त योग्य भूमि में न परठाया हो । भुक्तशेष अन्न-जल दूर ही से फेंक दिया,
सर्वथा असंयम का पथ अपनाया हो। स्वच्छ, शान्त, स्वास्थ्यकारीस्थानों को बिगाड़ा हन्त,
जैनधर्म एवं साधु-संघ को लजाया हो । दैनिक 'अमर' सर्व पाप-दोष मिथ्या होवें, उत्सर्ग-समिति में जो दूषण लगाया हो ॥
मनोगुप्ति व्यर्थ के योग्य नाना संकल्प-विकल्प जोड़
तोड़, चित्त-चक्र अति चंचल डुलाया हो । किसी से बढ़ाया राग किसी से बढ़ाया द्वेष,
परोन्नति देख कभी ई-भाव आया हो।
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