Book Title: Shraman Sutra
Author(s): Amarchand Maharaj
Publisher: Sanmati Gyanpith

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Page 741
________________ जे नो | जे नो । जे नाणु करति कारवंति मोयंति ( २१ ) अठारह हजार शीलाङ्ग रथ । ६..... Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मणसा] वयसा कायसा २.... | २.... | २.... निजिया | निजिया | निजिया | निजिया जे नो करेंति मणसा, निजियाहारसन्ना सोइंदिए; पुढवीकायारंभे, खंतिजुश्रा ते मुणी वंदे । For Private And Personal हारसन्ना | भयसन्ना महुणसन्ना मन्त्रा ५०० | ५०० | ५०० | ५०० श्रमण सूत्र www.kobatirth.org श्रोत्रेन्द्रिय चन्तु घाणेन्द्रिय रसनेन्द्रिय १०० र | रिन्द्रिय | १०० १०० स्पर्शनेन्द्रिय १०० पृथिवी अप । तेज | वायु | वनस्पति द्वीन्द्रिय | त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय पञ्चन्द्रिय १० १० । १० Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir क्षान्ति | मुक्ति | आजव | मार्दव | लाघव | सत्य संयम तप | ब्रह्मचर्य अकिंचन |

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