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बोल-संग्रह
(३) उपशम-कषाय विजय । (४) निवृत्ति-निर्वाण, आत्मिक शान्ति । (५) शौच-मानसिक पवित्रता, दोषों का त्याग । (६) श्रार्जव-सरलता, दंभ का त्याग । (७) मार्दव-कोमलता, दुराग्रह का त्याग । (८) लाघव-परिग्रह का त्याग, अनासक्त रहना ।
भिक्षा की नौ कोटियाँ (१) आहारार्थ स्वयं जीवहिंसा न करे। (२) दूसरों के द्वारा हिंसा न कराए । (३) हिंसा करते हुओं का अनुमोदन न करे । (४) आहारादि स्वयं न पकावे । (५) दूसरों से न पकवावे । (६) पकाते हुओं का अनुमोदन न करे । (७) आहार स्वयं न खरीदे । (८) दूसरों से न खरीदवावे । (६) खरीदते हुओं का अनुमोदन न करे ।
उपर्युक्त सभी कोटियाँ मन, वचन और कायरूप तीनों योगों से हैं। इस प्रकार कुल भंग सत्ताईस होते हैं ।
रोग की उत्पत्ति के नौ कारण (१) अत्यासन-अधिक बैठे रहने से । (२)-अहितासन-प्रतिकूल शासन से बैठने पर । ) ३) अतिनिद्रा-अधिक नींद लेने से ।
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