Book Title: Shraman Sutra
Author(s): Amarchand Maharaj
Publisher: Sanmati Gyanpith

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Page 714
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir बोल-संग्रह (३) उपशम-कषाय विजय । (४) निवृत्ति-निर्वाण, आत्मिक शान्ति । (५) शौच-मानसिक पवित्रता, दोषों का त्याग । (६) श्रार्जव-सरलता, दंभ का त्याग । (७) मार्दव-कोमलता, दुराग्रह का त्याग । (८) लाघव-परिग्रह का त्याग, अनासक्त रहना । भिक्षा की नौ कोटियाँ (१) आहारार्थ स्वयं जीवहिंसा न करे। (२) दूसरों के द्वारा हिंसा न कराए । (३) हिंसा करते हुओं का अनुमोदन न करे । (४) आहारादि स्वयं न पकावे । (५) दूसरों से न पकवावे । (६) पकाते हुओं का अनुमोदन न करे । (७) आहार स्वयं न खरीदे । (८) दूसरों से न खरीदवावे । (६) खरीदते हुओं का अनुमोदन न करे । उपर्युक्त सभी कोटियाँ मन, वचन और कायरूप तीनों योगों से हैं। इस प्रकार कुल भंग सत्ताईस होते हैं । रोग की उत्पत्ति के नौ कारण (१) अत्यासन-अधिक बैठे रहने से । (२)-अहितासन-प्रतिकूल शासन से बैठने पर । ) ३) अतिनिद्रा-अधिक नींद लेने से । For Private And Personal

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