Book Title: Shraman Sutra
Author(s): Amarchand Maharaj
Publisher: Sanmati Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 725
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ४२४ श्रमण सूत्र मासिक धर्म का अस्वाध्याय तीन दिन का एवं बालक और बालिका के जन्म का क्रमशः सात और अाठ दिन का माना गया है । (१४) अशुचि-टट्टी और पेशाब यदि स्वाध्याय स्थान के समीप हों और वे दृष्टिगोचर होते हों अथवा उनकी दुर्गन्ध आती हो तो स्वाध्याय नहीं करना चाहिए । (१५) श्मशान-श्मशान के चारों तरफ़ सौ-सौ हाथ तक स्वाध्याय न करना चाहिए। (१६) चन्द्र ग्रहण चन्द्र ग्रहण होने पर जघन्य अाठ और उत्कृष्ट बारह प्रहर तक स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। यदि उगता हुआ चन्द्र ग्रसित हुआ हो तो चार प्रहर उस रात के एवं चार प्रहर अागामी दिवस के इस प्रकार पाठ प्रहर स्वाध्याय न करना चाहिए । यदि चन्द्रमा प्रभात के समय ग्रहण-सहित अस्त हुआ हो तो चार प्रहर दिन के, चार प्रहर रात्रि के एवं चार प्रहर दूसरे दिन के इस प्रकार बारह प्रहर तक अस्वाध्याय रखना चाहिए। पूर्ण ग्रहण होने पर भी बारह प्रहर स्वाध्याय न करना चाहिए । यदि ग्रहण अल्य%= अपूर्ण हो तो आठ प्रहर तक अस्वाध्यायकाल रहता है। ___ (१७) सूर्य ग्रहण-सूर्य ग्रहण होने पर जघन्य बारह और उत्कृष्ट सोलह प्रहर तक अस्वाध्याय रखना चाहिए । अपूर्ण ग्रहण होने पर बारह, और पूर्ण तथा पूर्ण के लगभग होने पर सोलह प्रहर का अस्वाध्याय होता है। ___सूर्य अस्त होते समय ग्रसित हो तो चार प्रहर रात के, ओर पाठ अागामी अहोरात्रि के इस प्रकार सोलह प्रहर तक अस्वाध्याय रखना चाहिए। यदि उगता हुआ सूर्य ग्रसित हो तो उस दिन रात के आठ एवं आगामी दिन-रात के आठ-इस प्रकार सोलह प्रहर तक स्वाध्याय न करना चाहिए। (१८) पतन-राजा की मृत्यु होने पर जब तक दूसरा राजा For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750