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बोल-संग्रह
प्रतिलेखना की विधि (१) उड्ढे उकडू अासन से बैठकर वस्त्र को भूमि से ऊँचा रखते हुए प्रतिलेखना करनी चाहिए ।
(२) थिरं-वस्त्र को दृढ़ता से स्थिर रखना चाहिए ।
(३) अतुरियं-उपयोग शून्य होकर जल्दी जल्दी प्रतिलेखना नहीं करनी चाहिए।
(४) पडिलेहे-वस्त्र के तीन भाग करके उसको दोनों ओर से अच्छी तरह देखना चाहिए ।
(५) पप्फोडे-देखने के बाद यतना से धीरे-धीरे झड़काना चाहिए।
(६) पमजिजा-झड़काने के बाद वस्त्र आदि पर लगे हुए जीव को यतना से प्रमार्जन कर हाथ में लेना तथा एकान्त में यतना से परठना चाहिए ।
[ उत्तराध्ययन २६ वाँ अध्ययन ]
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