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भयादि-सूत्र
१६३ महामोहनीय के ३० स्थान
(१) त्रस जीवों को पानी में डुबा कर मारना । (२) त्रस जीवों को श्वास आदि रोक कर मारना । (३) त्रस जीवों को मकान आदि में बंद कर के धुएँ से घोट
कर मारना। (४) त्रस जीवों को मस्तक पर दण्ड आदि का घातक प्रहार
करके मारना। (५) त्रस जीवों को मस्तक पर गीला चमड़ा आदि बाँध
कर मारना। (६) पथिकों को धोखा देकर लूटना । (७) गुप्तरीति से अनाचार का सेवन करना ।
८) दूसरे पर मिथ्या कलंक लगाना । (६) सभा में जान-बूझ कर मिश्रभाषा= सत्य जैसा प्रतीत होने
वाला झूठ बोलना । (१०) राजा के राज्य का ध्वंस करना । (११) बाल ब्रह्मचारी न होते हुए भी बाल ब्रह्मचारी कहलाना । (१२) ब्रह्मचारी न होते हुए भी ब्रह्मचारी होने का दौंग रचना । (१३) अाश्रयदाता का धन चुराना । (१४) कृत उपकार को न मान कर कृतघ्नता करना । । १५ ) गृहपति अथवा संघपति आदि की हत्या करना । (१६ ) राष्ट्रनेता की हत्या करना। ( १७) समाज के आधारभूत विशिष्ट परोपकारी पुरुष की हत्या
करना। (१८) दीक्षित साधु को सौंयम से भ्रष्ट करना । ( १६ ) केवल ज्ञानी की निन्दा करना । (२०) अहिंसा आदि मोक्षमार्ग की बुराई करना । (२१) प्राचार्य तथा उपाध्याय की निन्दा करना ।
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