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द्वादशावर्त गुरुवन्दन-सूत्र भावार्थ
[१. इच्छा निवेदन स्थान ]
..हे क्षमाश्रमण गुरुदेव ! मैं पाप प्रवृत्ति से अलग हटाए हुए अपने शरीर के द्वारा यथाशकि आपको वन्दन करना चाहता हूँ ।
[ २. अनुज्ञापना स्थान ]
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श्रतएव मुझको अवग्रह में आपके चारों ओर के शरीर-प्रमाण क्षेत्र में कुछ परिमित सीमा तक प्रवेश करने की आज्ञा दीजिए ।
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मैं अशुभ व्यापारों को हटाकर अपने मस्तक तथा हाथ से आपके चरण कमलों का सम्यग रूप से स्पर्श करता हूँ ।
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चरण स्पर्श करते समय मेरे द्वारा आपको जो कुछ भी बाधा = पीड़ा हुई हो, उसके लिए क्षमा कीजिए ।
[ ३. शरीरयात्रा पृच्छा स्थान ]
क्या ग्लानि रहित आपका आज का दिन बहुत आनन्द से व्यतीत हुआ ?
[ ४. संयमयात्रा पृच्छा स्थान ]
क्या आपकी तप एव संयम रूप यात्रा निर्बाध है ?
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[ ५. संयम मार्ग में बापनीयता = मन, वचन, काय के सामर्थ्य
की पृच्छा का स्थान ]
क्या आपका शरीर मन तथा इन्द्रियों की बाधा से रहित सकुशल एव ं स्वस्थ है ?
For Private And Personal
[ ६. अपराध - समापना स्थान ]
हे तमाश्रमण गुरुदेव ! मुझसे दिन में जो व्यतिक्रम=अपराध हुआ हो, उसके लिए क्षमा करने की कृपा करें ।
भगवन् ! आवश्यक क्रिया करते समय मुझसे जो भो विपरीत आचरण हुआ हो, उसका मैं प्रतिक्रमण करता हूँ ।
हे क्षमाश्रमण गुरुदेव ! जिस किसी भी मिथ्याभाव से, द्वेष से,