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( ३ )
पूर्वार्ध-सूत्र
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उग्गए सूरे, पुरिमं पच्चक्खामि चउव्विहं पि श्राहारं असणं, पाणं, खाइनं, साइमं ।
अन्नत्थ-ऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नका लेणं, दिसा मोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्त्रसमाहिवत्तियागारेणं, वोसिरामि ।
भावार्थ
सूर्योदय से लेकर दिन के पूर्वार्ध तक प्रर्थात् दो प्रहर तक चारों आहार अशन, पान, खादिम, स्वादिम का प्रत्याख्यान करता हूँ ।
श्राभोग, सहसाकार, प्रच्छन्नकाल, दिशामोह, साधुवचन, महत्तराकार और सर्वसमाधिप्रत्ययाकार—— उक्त सात श्रागारों के सिवा पूर्णतया आहार का त्याग करता हूँ ।
विवेचन
यह पूर्वार्ध प्रत्याख्यान का सूत्र है । इसमें सूर्योदय से लेकर दिनके पूर्व भाग तक अर्थात् दो पहर दिन चढ़े तक चारों आहार का त्याग किया जाता है ।
प्रस्तुत प्रत्याख्यान में सात आगार माने गए हैं। छह तो पूर्वोक्त
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