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श्रमण सूत्र
कल्याणमन्दिर-स्तोत्र [ उपाध्याय मुनि श्री अमरचन्द्रजी महाराज ] प्रस्तुत पुस्तक में प्राचार्य सिद्धसेन रचित .भगवान् पार्श्वनाथजी का संस्कृत स्तोत्र है । उपाध्याय श्री जी ने उसका सरल अनुवाद और सुन्दर विवेचन करके और गम्भीर स्थलों पर टिप्पणियाँ देकर साधारण लोगों के लिए भी उसका रसास्वादन सुगम बना दिया है । छपाई-सफाई सुन्दर है । पुस्तक के पीछे हिन्दी-कल्याण-मन्दिर भी है । मूल्य ॥)।
वीर-स्तुति [ उपाध्याय पं० मुनि श्री अमरचन्द्रजी महाराज ] इस पुस्तक में भगवान् महावीर की स्तुति है। इसमें गणधर सुधर्मा स्वामीजी ने भगवान् महावीर के गुणों का बहुत ही सुन्दर ढंग से वर्णन किया है । मूल-पाठ प्राकृत भाषा में होने से भक्तजनों को बड़ी कठिनाई थी। उपाध्याय श्री जी ने इसका भावानुवाद, पद्यानुवाद और विवेचन द्वारा इसे बहुत ही सुगम बना दया है । साथ ही संस्कृत का महावीराष्टक भी पद्यानुवाद और भावानुवाद सहित देकर पुस्तक को और भी अधिक उपयोगी बना दिया है। मूल्य 1-)।
मंगल-वाणी [पण्डित मुनि श्री अमोलचन्द्रजी महाराज ] प्रस्तुत पुस्तक में तीन विभाग हैं, जिनमें क्रमशः प्राकृत, संस्कृत और हिन्दी के भावपूर्ण एवं विशुद्ध स्तोत्रों और स्तवनों का सुन्दर संकलन किया गया है । जैन-धर्म के सुप्रसिद्ध और प्रतिदिन पठनीय वीर स्तुति, भक्तामर, कल्याण मन्दिर और मेरी भा पना, पञ्चपदों की वन्दना तथा समाज में प्रचलित हिन्दी के प्रायः सभी स्तवनों का इस पुस्तक में अद्यतन शैली से संकलन किया गया है। सुख-साधन और जैन स्तुति से भी अधिक सुन्दर संग्रह है। सुन्दर छपाई, गुटकाकार और पृष्ठ संख्या ३२५ है। परिशिष्ट में पञ्चकल्याणक एवं स्तोत्रों के कल्प तथा स्तोत्रों के पढ़ने
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