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शेष-सूत्र
.. ३६७ अरुज रोग रहित, अनन्त = अन्तरहित, अक्षय = क्षयरहित, अव्याबाध = बाधा पीड़ा रहित, अपुनरावृत्ति= पुनरागमन से रहित अर्थात् जन्म मरण से रहित, सिद्धि गति नामक स्थान को प्राप्त कर चुके हैं, भय के जीतने वाले हैं, राग-द्वष के जीतने वाले है -उन जिन भगवानों को मेरा नमस्कार हो।'
१. श्रमण सूत्र के अतिरिक्त जो प्राकृत पाठ हैं, उनका यह शेष सूत्र के नाम से संग्रह कर दिया है । इनका विवेचन लेखक की सामायिकमंत्र नामक पुस्तक में देखिए ।
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