________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
प्रत्याख्यान-सूत्र
(१)
नवस्कार सहित सूत्र उग्गर सूरे' नमोक्कारसहियं पञ्चक्खामि चउव्विहं पि आहारं-असणं, पाणं, खाइम, साइमं । । अन्नत्थ-ऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, वोसिरामि ।
. भावार्थ सूर्य उदय होने पर--दो घड़ी दिन चढ़े तक-नमस्कार सहित प्रत्याख्यान ग्रहण करता हूँ, और अशन, पान, खादिम, स्वादिम चारों हो प्रकार के श्राहार का त्याग करता हूँ। - प्रस्तुत प्रत्याख्यान में दो श्रागार = आकार अर्थात् अपवाद हैं-- अनाभोग=अत्यन्त विस्मृति और सहसाकार=शीघ्रता ( अचानक )। इन दो श्राकारों के सिवा चारों श्राहार बोसिराता हूँ-त्याग करता हूँ।
१ 'सूरे उग्गए'-इति हरिभद्राः। 'नमोक्कारं पञ्चक्खाति सूरे उग्गए'--इति जिनदासाः।
For Private And Personal