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संस्तार पौरुषी सूत्र
जइ मे हुज्ज पमाओ,
इमस्स देहस्सिमाइ रयणीए। 'आहार मुवहिदेहं,
सन् तिविहेण वोसिरिअं ॥७॥
भावार्थ [नियमसूत्र ] यदि इस रात्रि में मेरे इस शरीर का प्रमाद हो अर्थात् मेरी मृत्यु हो तो श्राहार, उपधि = उपकरण और देह का मन बचन और काय से त्याग करता हूँ ।
पाणाइवायमलियं,
चोरिक्कं मेहुणं दविणमुच्छं। कोहं, माणं, मायं,
लोह, पिज्जं तहा दोसं ॥८॥ कलहं अभक्खाणं,
पेलुन्नं रइ-अरइ-समाउर्त्त । परपरिवायं माया
मोसं मिच्छत्तसल्लं च ॥॥ वोसिरसु इमाई,
मुक्खमग्गसंसग्गविग्धभूआई। दुग्गइ-निबंधणाई,
अट्ठारस पावठाणाई ॥१०॥ १ सयोवहि-उवगरण पाठ भी है ।
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