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अनन्त का प्रत्यक्ष असम्भव
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प्रश्न--यों तो पृथ्वी के बाद भी पृथ्वी आती है समुद्र आने पर भी पानी के नीचे पृथ्वी है ही तो क्या पृथ्वी को अनन्त मानले ?
उत्तर - पृथ्वी को अनन्त कैसे मानले ऊपर की ओर उसके अंत पर तो हम बैठे ही हैं। अनन्त के विषय में हमें यह ध्यान रखना चाहिये कि अनन्त वहीं मानना उचित है जहां किसी तरह अन्त बन न सकता हो । हम ऐसी जगह को कल्पना कर सकतें हैं जहां कोई चीज़ न हो, पर ऐसी जगह की कल्पना नहीं कर सकते जहाँ जगह न हो । जगह का अभाव बताने के लिये भी जगह की ज़रूरत है | इसलिये जगह अर्थात् क्षेत्र अनन्त है । उसकी अनंतता जानने के लिये प्रत्येक प्रदेश [ जगह का सत्र से छोटा अंश ] को जानने की ज़रूरत नहीं है ।
प्रश्न -- अवयवों को जाने बिना अवयवी को कैसे जान सकते हैं अनन्त प्रदेशों को जाने बिना अनंतप्रदेशित्व का ज्ञान कैसे होगा ।
उत्तर -- जैसे कुछ समयों के ज्ञान से काल की अनन्तता जानली जाती है उसी प्रकार कुछ प्रदेशों के ज्ञान से क्षेत्र की अनन्तता जानी जा सकती है । काल में अनन्तता नित्यत्वं रूप हैं क्षेत्र में व्यापकरूप । जैसे प्रत्येक समय अपने भविष्य समय से
प्रदेश आगामी प्रदेश से जुड़ा प्रदेश की ज्ञान से बाकी
जुड़ा हुआ है उसी प्रकार प्रत्येक है इसलिये समय की परम्परा और कुछ समयों और कुछ प्रदेशों के समयों के स्वभाव का ज्ञान हो जाता है और उससे अनन्तत्व नामक धर्म का ज्ञान होजाता है ।
परम्परा अनन्त है । प्रदेशों और बाकी