Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १८१ संयोगस्वरूपनिरूपणम् गोभि गोमान् , महिषीभिर्म हिषिकः, ऊरणामिः ऊरणिकः, उष्ट्रीभिः उष्ट्रीपालः । स एष सचित्तः। अथ कोऽसौ अचित्तः ? अचित्तः-छत्रेण छत्री, दण्डेन दण्डी, पटेन पटी, घटेन घटी, कटेन कटौ । स एषोऽचित्तः । अथ कोऽसौ मिश्रः ?मिश्रःसंयोग-सचित्तसंयोगज नाम इस प्रकार से है (गोहिं गोमए ) गायों के संयोग से जैसे गोमान्-(महिसीहि महिसिए) भैंसो के संयोग से महिषीमान् (ऊरणीहिं अरणिए) मेषियों के संयोग से मेषीमान् उट्टीहि उट्टीवाले) ऊंटनियों के संयोग से उष्ट्रपाल । तात्पर्य यह है-किग्वाला ऐसा जो नाम होता है, वह गायों के पालने आदि से निष्पन्न होता है। गायें सचित्त पदार्थ हैं, अतः ग्वाला ऐसा नाम सचित्त द्रव्य संयोगज है। इसी प्रकार से पहिषीमान् आदि नामों को भी जानना चाहिये। (से किं तं अचित्ते) हे भदंत! अचित्त द्रव्य संयोगज नाम कैसा होता है ?
उत्तर-(अचित्ते) अचित्त द्रव्यसंयोगज नाम इस प्रकार होता हैछत्तेणं छत्ती, दंडेणं दंडी, पडेण पड़ी घडेण घडी कडेण कडी (से त्तं अचित्ते) छत्र के संयोग से छत्री, दण्ड के संयोग से दण्डी, पट के संयोग से पटी घट के संयोग से घटी, कट के संयोग से कटी, ये सब अचित्त द्रव्य संयोगज नाम हैं। इस नाम की निष्पत्ति में अचित्त द्रव्य का संयोग मापेक्ष होता है-छत्र, दण्ड, पट, घट, कट, ये सब अचित्त मीसह) सयित्तसयास, अयित्तसयोस, भिसयाग, सचित्तस यो नाम मा प्रमाणे छे. (गोहि गोमिए) गायोना संयोगथी रेभ गोमान (महिसीहि महिसिए) सोन! सयोगथी महिषीमान् (ऊरणीहि ऊरणिए) भेषाना सयोगथा भेषीमान् (उट्टीहि उट्टीवाले) 21ना सयोगथी ट्रीप ता५ આ પ્રમાણે છે કે ગોવાળ એવું જે નામ હોય છે તે ગાયના રક્ષણ વગેરેથી નિષ્પન્ન હોય છે. ગાયે સચિત્ત પદાર્થ છે એથી ગોવાળ એવું નામ સચિત્ત દ્રવ્ય સંયોગ જ છે. આ પ્રમાણે મહિષીમાન વગેરે નામો વિષે પણ જાણી सेन (से कि तं अचित्ते) 3 Hin! अथित द्र०५ सय नाम यु डाय छ ?
उत्तर-(अचित्ते) मथित्त द्रव्य भयो ४ नम । प्रभार हाय छे. (छत्तेणं, छत्ती, दंडेणं दंडो, पडेण पड़ी, घडेण धडी, कडेण, कडी सेतं अचित्त) છત્રના સંગથી છત્રી, દંડના સંયોગથી દંડી, પટના સંગથી પટી, ઘટના સંગથી ઘટી, કટના સંગથી કટી, આ બધાં અચિત્ત દ્રવ્ય સંગ જ નામે છે. આ નામની નિષ્પન્નતામાં અચિત્ત દ્રવ્યને સગ અપેક્ષિત ગણાય છે. છત્ર, દંડ, પટ, ઘર, કટ આ સર્વે અચિત્ત દ્રવ્ય છે. છત્ર જેની પાસે
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