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असहाय-असुर सहयोग न करना । -वाद-पु० असहयोग द्वारा सरकार असामी-पु० [अ०] नाम, नामसूची [इस्म-नामका पर दबाव डालनेका सिद्धांत । -वादी (दिन -वि० बहुवचन ]; पद, नौकरी; काश्तकार; कर्जदार; ग्राहक असहयोगवादको माननेवाला।
मुलाजिम, आदमी (लाखोंका असामी)। " असहाय-वि० [सं०] जिसका कोई साथी, सहायक न हो, असाम्य-पु० [सं०] अंतर; असमानता; अननुकूलता। निराश्रय, बे-सहारा; निरुपाय ।
असार-वि० [सं०] सारहीन, सत्त्वशून्य; पोला, निरर्थक । असहिष्णु-वि० [सं०] बर्दाश्त न करनेवाला, चिड़चिड़ा, असावधान-वि० [सं०] जो सजग-चौकन्ना न हो, क्रोधी; झगड़ालू ।
गाफिल, बेखबर । असही*-वि० जो दूसरेकी बढ़ती न देख सके, अदेखा । असावधानता-स्त्री० [सं०] गफलत, बेखबरी । असह्य-वि [सं०] न सहने लायक, असहनीय । असावधानी-स्त्री० दे० 'असावधानता' असाँच-वि० असत्य, झूठ ।
असावरी-स्त्री० एक रागिनी जो भैरव रागकी स्त्री मानी असांद्र-वि० [सं०] विरल, जो धना न हो।
जाती है। असांप्रत-वि० [सं०] असामयिका वर्तमान कालका नहीं। असि-स्त्री० [सं०] तलवार; खगः भुजाली; श्वास । असांप्रदायिक-वि० [सं०] जिसका किसी संप्रदायसे संबंध -चर्या-स्त्री० खड्ग चलानेका अभ्यास ।-जीवी (विन) न हो।
-वि० तलवारसे जीविका करनेवाला, सिपाही। -दंत, असांसद-वि० [सं०] ( अनपार्लिमेंटरी) संसदकी मर्यादा, -दंष्ट्र, दंष्ट्रक-पु० मगर, घड़ियाल । -पुत्रिका, कार्यविधि, परंपरा आदिके प्रतिकृल; जो संसदमें कहने -पुत्री-स्त्री० छुरी। या करने योग्य न हो (अशिष्ट)।
असित-वि० [सं०] अश्वेत; काला; नीला। पु० काला असा-पु० [अ०] डंडा, सोंटा; चाँदी या सोना मढ़ा हुआ या नीला रंग; शनि; कृष्ण पक्ष; धव वृक्ष । -केशासोंटा । -बरदार-पु० राजा, दूल्हे आदिकी सवारीके स्त्री० काले बालोंवाली स्त्री। -गिरि-नग-पु० नील आगे-आगे असा लेकर चलनेवाला ।
गिरि, नीलाचल । -पक्ष-पु० कृष्ण पक्ष । असाई*-वि० अश, मूर्ख ।
असितांबुज-पु० [सं०] नील कमल । असाक्षिक-वि० [सं०] जिसका कोई साक्षी न हो; जिसकी असितार्चि (स)-पु० [सं०] अग्नि । तसदीक न हुई हो।
| असितोपल-पु० [सं०] नीलम । असाक्षी (क्षिन)-वि० [सं०] जो चश्मदीद गवाह न हो; 'असिद्ध-वि० [सं०] अप्रमाणित; न पका हुआ, कच्चा गवाह बननेके अयोग्य ।
अपूर्ण असफल; जिसे योगसिद्धि न मिली हो। पु० एक असाक्ष्य-पु० [सं०] गवाहका न होना ।
हेत्वाभास जिसमें हेतु स्वयं असिद्ध होता है। असाढ़-पु० आषाढ़ मास ।
असिद्धि-स्त्री० [सं०]अपूर्णता विफलता साबित न होना। असाढ़ा-पु० रेशमका बटा हुआ तागा; एक तरहकी कच्ची असिव*-वि० दे० 'अशिव' । चीनी।
असीम-वि०[सं०] जिसकी सीमा न हो,बे-हद; बे-हिसाव असाढ़ी-वि० असाढ़का । स्त्री० असाढ़में बोयी जानेवाली
अपार । फसल; आषाढकी पूर्णिमा।
असीमित-वि० [सं०] जिसकी हद नबाँधी गयी हो; असाढ़ -पु० मोटी सिल्ली, भोट (१)।
अपरिमित । असाध*-वि० असाध्यअसाधु ।
असीर-वि० [अ०] बंदी, कैदी। असाधन-वि० [सं०] साधनहीन । पु० साधन या सिद्धि असीरी-स्त्री० [अ०] कैद । न होना।
असील-वि० [अ०] कुलीन, शुद्ध रक्तवाला, नेक; *असल । असाधारण-वि० [सं०] जो साधारण, आम न हो, विशेष, असीस*-स्त्री० आशीर्वाद । गैरमामूली । -राजदूत-पु० ( एंबैसेडर एक्स्ट्राआडि- असीसना*-स० क्रि० आशीर्वाद देना। नरी) विशेष अवसरपर या विशेष उद्देश्यसे भेजा गया असुंदर-वि० [सं०] भद्दा, जो सुंदर न हो; अप्रशस्त । राजदूत ।
अस-पु० [सं०] प्राण; प्राण वायु; चित्त; पलकका छठा असाधु-वि० [सं०] दुर्जन, दुष्ट; असदाचारी; खोटा; अप्रा- भागः विचार; हृदय; शोक; * घोड़।। -त्याग-पु० माणिक; असंस्कृत (शब्द)। पु० बुरा आदमी।
प्राणत्याग। असाध्य-वि० [सं०] जिसका साधन वा सिद्धि न हो। असकर-वि० [सं०] जिसे करना कठिन हो। सके; अच्छा न होनेवाला, लाइलाज (रोग); अति | असुख-वि० [सं०] अप्रसन्न, दुःखी; । पु० दुःख, कष्ट । कठिन ।-साधन-पु०न हो सकनेवाले कामको कर लेना। असुखी (खिन्)-वि० [सं०] दुःखमय, दुखी;शोकपूर्ण। असाध्वी-स्त्री० [सं०] व्यभिचारिणी, असती।
असुखोदय-वि० [सं०] दुःखकारक; दुःखांत । असामयिक-वि० [सं०] जो नियत समयपर न हो, बेवक्त, असुग-वि०, पु० दे० 'आशुग' । बेमौका ।
असुचि-वि० दे० 'अशुचि' । असामर्थ्य-स्त्री० [सं०] अक्षमता,सामर्थ्यहीनता; निर्बलता। असप्त-वि० [सं०] जो सोया न हो, जागता हुआ। असामान्य-वि० [सं०] असाधारण, जो औरों में न मिले, असुभ*-वि० दे० 'अशुभ'। विशेष ।
असुर-पु० [सं०] दैत्य, दानव; सूर्य, राहु, बादल; खल,
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