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{35} ज्ञानध्यानसुपुष्पाढ्याः शिवधर्माः सनातनाः॥ तथाऽहिंसा क्षमा सत्यं ह्रीः श्रद्धेन्द्रियसंयमः। दानमिज्या तपो ज्ञानं दशकं धर्मसाधनम्॥
(प.पु. 2/69/35) शिव-धर्म सनातन हैं तथा ज्ञान व ध्यान रूपी पुष्पों से परिपूर्ण हैं। शिव-धर्म के दस साधन इस प्रकार हैं:-(1)अहिंसा, (2) क्षमा, (3)सत्य, (4)ह्री, (5) श्रद्धा, (6) इन्द्रिय-संयम, (7)दान, (8) यज्ञ, (9) तप, व (10) ज्ञान (आत्म-ज्ञान)।
अहिंसा की परम धर्म के रूप में प्रतिष्ठा
__{36} अहिंसा परमो धर्मः॥
(म.भा. 3/207/74; 13/116/28;14/43/21; दे.भा. 4/13/55; शि. पु. 2/5/5/18; स्कं. पु. 1/(2)। 63/37; वि. ध. पु. 3/268/12)
'अहिंसा' परम धर्म है।
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{37} अहिंसा परमो धर्मः, तथाऽहिंसा परंतपः। अहिंसा परमं सत्यं, यतो धर्मः प्रवर्तते॥
(म.भा. 13/115/23) 'अहिंसा' परम धर्म है, यही परम तप है, और यही परम सत्य है क्योंकि अहिंसा # से (अर्थात् उसी के आधार पर) धर्म का प्रवर्तन/ अस्तित्व होता है।
1381 अहिंसा परमो धर्मः, अहिंसा च परं तपः। अहिंसा परमं ज्ञानम्, अहिंसा परमं फलम्॥
(स्कं.पु. ब्रह्म/धर्मारण्य/36/64) अहिंसा परम धर्म है, अहिंसा ही परम तप है, अहिंसा परम ज्ञान है, और अहिंसा * ही सर्वोत्कृष्ट (पुरुषार्थ-) फल है।
男男男男男男男男%%%%%%%明明明明明明明明明明明明明明明明、 [वैदिक/बाह्मण संस्कृति खण्ड/10