Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 01
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication

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Page 329
________________ MANANEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEma {1016} बृद्धो बालो न हन्तव्यो नैव स्त्री केवलो नृपः॥ यथायोग्यं तु संयोग्यं निघ्नन् धर्मो न हीयते। (शु.नी.4/7/361-362) वृद्ध , बालक, स्त्री या केवल अकेला बचा हुआ राजा-इन सभी को नहीं मारना चाहिये, बल्कि उनके साथ यथायोग्य व्यवहार करके उन्हें केवल अपने अधीन करे, ऐसा ई करते हुए राजा स्वधर्म से च्युत नहीं कहा जाता है। {1017} वृद्धबालौ न हन्तव्यौ न च स्त्री नैव पृष्ठतः॥ तृणपूर्णमुखश्चैव तवास्मीति च यो वदेत्। __(म.भा. 12/98/48-49) युद्ध में वृद्ध, बालक और स्त्रियों का वध नहीं करना चाहिये, किसी भागते हुए की ॐ पीठ में आघात नहीं करना चाहिये, जो मुंह में तिनका लिये शरण में आ जाय और कहने लगे कि मैं आपका ही हूं, उसका भी वध नहीं करना चाहिये। ¥¥¥¥¥¥¥乐玩玩乐乐听听听听听听听听听听听听听听玩玩乐乐玩玩玩玩玩乐乐玩呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢 ¥妮妮妮妮頻頻頻纸纸呢呢呢呢呢垢妮妮妮妮妮妮妮妮妮妮妮巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩¥¥¥¥¥¥¥¥ ___{1018} विशीर्णकवचं चैव तवास्मीति च वादिनम्। कृताञ्जलिं न्यस्तशस्त्रं गृहीत्वा न हि हिंसयेत्॥ (म.भा. 12/96/3) जिसका कवच छिन्न-भिन्न हो गया हो, जो मैं आपका ही हूं-ऐसा कह रहा हो और हाथ जोड़े खड़ा हो, अथवा जिसने हथियार रख दिये हों, ऐसे विपक्षी योद्धा को कैद करके # मारे नहीं। ___{1019} अशस्त्रं पुरुषं हत्वा सशस्त्रः पुरुषाधमः। अर्थार्थे यदि वा वैरी मृतो जायेत वै खरः॥ (ब्रह्म.पु. 109/100) यदि कोई सशस्त्र नराधम, चाहे वैर भाव से या धन प्राप्ति के लोभ से किसी शस्त्रहीन (निहत्थे) व्यक्ति को मारता है तो वह मर कर गधा बन कर जन्म लेता है। ENAMEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEERS अहिंसा कोश/299]

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