Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 01
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication
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929
उद्धरण का प्रारम्भिक अंश विशीर्णकवचं चैव... विश्वस्तघातिनः क्रूराः... विश्वासकस्तृतीयोऽपि... विश्वे ये मानुषा युगा... वीतरागा विमुच्यन्ते... वृद्धबालौ न हन्तव्यौ.... वृद्धो बालो न हन्तव्यो... वृषक्षुद्रपशूनां च...
940 947
उद्धरण पृष्ठ संख्या संख्या 1018 229 18460 432 122 29689 897 255 1017 299 1016 299 287 87 640 182 738 924
195
165
94
207
वेदगोष्ठाः सभाः शालाः... वेदधर्मेषु हिंसा स्याद्... वेदनायां ततश्चापि... वेदवेदाङ्गविन्नाम... वेदाभ्यासस्तपो ज्ञानम्...
__160
834
34
120
उद्धरण का
उद्धरण पृष्ठ प्रारम्भिक अंश संख्या संख्या वर्षे वर्षेऽश्वमेधेन...
470 132 वसुधातलचारी तु...
271 वाक्सायका वदनान्निष्पतन्ति... 515 146 वाक्पारुष्यं न कर्तव्यं...
276 वादण्डं प्रथमं कुर्याद्...
278 वाचस्पतिर्वाचं नः... 373 107 वाचा मनसि काये च... 693 वाचा मित्राणि संदधति... 587 वाचा युद्धप्रवृत्तानां... 998 वात्सल्यात्सर्वभूतेभ्यः... 973 वापीकूपतडागानि... 802 वापीकूपतडागादौ... 803 वायुनोत्क्रमतोत्तारः... 120 वार्तायां लुप्यमानायाम्...
34 विकलाङ्गान् प्रव्रजितान् 995 विक्रयार्थं हि यो हिंस्याद् 433 122 विगर्हातिक्रमाक्षेप... 696 196 विचक्षणवतीं वाचं भाषन्ते... विजित्य क्षममाणस्य... 944 वितर्का हिंसादयः कृतकारित...169 विदद्वस उभयाहस्त्या... 808 ___226 विदुषामविधेयत्वात्... 485 विनष्टो ज्ञानविद्वद्भ्यः... 490 विनष्टः पश्यतस्तस्य... 674 191 विनश्येत् पात्रदौर्बल्यात्... 760 212 विपरीतस्तामसः स स्यात्... 939 276 विपरीतैश्च राजेन्द्र...
205 विभागशीलो यो नित्यं... 845 239 विमथ्यातिक्रमेरंश्च... 932 विमलमतिरमत्सरः प्रशान्तः 192 63 विरुद्धं वेदसूत्राणाम्... 927 267 विरूपाश्वेन निमिना... 483 136 विवक्षता च सद्वाक्यं...
162 विषमं वाहयेद् यस्तु... 635 180
839 527 791
149
555
156
30692
277
636
432
572
569 187
928
वैरं पञ्चसमुत्थानं... व्याधितस्यौषधं दत्त्वा... षडेव तु गुणाः पुंसा... षड्गवं तु त्रियामाहे... षड्विधं नृपते प्रोक्तं... शक्त्याऽन्नदानं सततं... शठप्रलापाद् विरता... शठाः क्रूरा दाम्भिकाश्च... शतक्रतुस्तु तद्वाक्यम्... शतहस्त समाहर... शयानः परिशोचद्भिः ... शरणागतं यस्त्यजति... शरणागते न्यस्तशस्त्रे... शरण्यः सर्वभूतानां... शरीरवत्तमास्थाय... शर्म यच्छत द्विपदे... षष्टिवर्षसहस्राणि... शश्वत्परार्थसर्वेहः शस्त्रावपाते गर्भस्य...
226
807 120
733
679
273
130
1020 462 919 32797 637 181 345 101 284 86
575
अहिंसा-विश्वकोश/371]

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