Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 01
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication

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Page 387
________________ उद्धरण पृष्ठ संख्या संख्या 7120 673 190 928 267 784 669 189 865 उद्धरण का प्रारम्भिक अंश आक्रुष्टो निहतो वापि ... आकुष्टोऽभिहतो यस्तु... आक्रोशितस्ताडितो वा... आक्रुश्यमानो नाक्रोशेत्... आक्रोशन्तं स्तुवन्तं च... आक्रोशपरिवादाभ्यां... आगतस्य गृहं त्यागः... आगमेनैव ते यज्ञं... आचार्यं च प्रवक्तारं... आजन्मसेवितं दानैः... आज्ञायैवं गुणान् दोषान्... आत्मनः प्रतिकूलानि... आत्मनिन्दाऽऽत्मपूजा च... आत्मवत् सर्वभूतानि... आत्मवत् सर्वभूतेषु... 671 888 20 182 136 929 264 उद्धरण पृष्ठ संख्या संख्या 698 196 695 196 ___173 55 596 167 604 169 708 199 190 928 268 272 83 535 152 204 __66 233 415 ____116 248 ___ 229 72 615 174 400 112 453 17 410 115 247 77 426 120 580 163 893 254 879 250 662 935 75 988 290 748 804 226 989 291 559 157 801 225 349 830 234 उद्धरण का प्रारम्भिक अंश आर्तप्राणप्रदा ये च... आर्तो वा यदि वा दृप्तः... आलम्भसमये तस्मिन्... आवाहाश्च विवाहाश्च... आशया ह्यभिपन्नानाम्... आशीर्युक्तानि सर्वाणि... आस्ते यम उपयाति... आस्तेऽवमत्योपन्यस्तं... आहर्ता चानुमन्ता च... आहारं कुर्वती गां च... इक्ष्वाकुणा शम्भुना च... इज्यायज्ञश्रुतिकृतैः... इति पापानि घोराणि... इत्युक्तमात्रो नृपतिः... इत्युचार्य नरो दद्याद्... इदं कृतयुगं नाम... इमांल्लोकाञ्छान्तो न... इषुर्लिप्तो न कर्णी... इष्टं दत्तमधीतं च... इष्टाचारो दमोऽहिंसा... इष्टापूर्तफलं चैव... इह लोके परत्रासौ... ईदृशः पुरुषोत्कर्षः... ईदृशः पुरुषो नित्यं... ईदृशाय सुरश्रेष्ठ... ईर्ष्या मोदोऽतिवादश्च... ईहत धनहेतोर्यः... उक्तं न प्रतिजग्राह... उक्ताश्च न वदिष्यन्ति... उच्चा दिवि दक्षिणावन्तो... उच्चावचकरा दाप्या... उत्सादयति यः सर्वं... उदीरत सूनृता उत्पुरन्धी.. उद्यतेषु च शस्त्रेषु... 862 926 213 1032 453 69 आत्माभिष्टवनं निन्दां... आत्मार्थे यः परप्राणान्... आत्मोत्कर्षं न मार्गेत... आत्मोपमस्तु भूतेषु... आत्मौपम्येन मन्तव्यं... आदानादपि भूतानां... आनृशंस्यं क्षमा शान्तिः... आनृशंस्यं क्षमा सत्यम्... आनृशंस्यं परो धर्मः... 4 178 717 84 22 87 . 24 187 आनृशंस्येन सर्वस्य... आ नो भर दक्षिणेन... आपद्येव तु याचन्ते... आपातप्रीतिजनकं... आपो नित्यं प्रदेयास्ते... आराध्यते महादेवः... आर्जवत्वमलोभश्च... 760 818 611 928 598 782 955 980 379 462 212 230 171 269 167 218 281 288 108 130 अहिंसा-विश्वकोश/357]

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