Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 01
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication
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उद्धरण का प्रारम्भिक अंश
त्रीण्येव तु पदान्याहु.....
152
226
895
त्रीन् दोषान् सर्वभूतेषु... त्रैवर्णिकांरत्यजेत् सर्वान्...
870
388
189
त्वंकारो वा वधो वापि ... त्वया युक्ताः शिवोऽहं च... त्वं हरसा तपञ्जातवेदः... दक्षिणावतामिदिमानि चित्रा... दक्षिणावान् प्रथमो हूत..... 777
322
776
दण्डन्यासः परं दानम्...
734
740
468
842
634
639
354
341
816
229
530 150
867
247
दयादरिद्रहृदयं ....
139
41
दया भूतेषु संवादः....
145 42
दया लज्जा क्षमा श्रद्धा...
845
239
825
233
650
185
613 173
841
238
828
234
दया समस्तभूतेषु.... दया सर्वसुखैषित्वम्... दरिद्रो निरहंस्तम्भो... दश कामसमुत्थानि .... दशाङ्गो राक्षस श्रेष्ठ... दाक्षिण्यं रूपलावण्यं.... दातव्यमसकृच्छक्त्या..... दातारं कृपणं मन्ये.... दानं भूताभयस्याहु..... ..दानं यज्ञाः सतां पूजा... दानं हि भूताभयदक्षिणायाः... 906
59
16
806
226
767
215
316
94
736
206
257
दत्तं मन्येत यद्दत्वा ..... ददाति यजते चापि... दण्डस्य पातनं चैव... दण्डेन ताडयेद् यो हि..... दण्डैर्गास्ताडयेत् मूढो.... दधीचिना पुरा गीत:... दधीचिरपि राजर्षि.....
दमो ह्यष्टादशगुण..... दम्भाभिमानतीक्ष्णानि ... दम्भाहंकारनिर्मुक्तो....
उद्धरण पृष्ठ संख्या संख्या
[वैदिक ब्राह्मण संस्कृति खण्ड / 362
45
72
254
247
110
62
96
217
217
205
207
132
238
179
182
103
100
उद्धरण का प्रारम्भिक अंश दानधर्मात्परो धर्मो.... दानमिति सर्वाणि भूतानि.... 773
768
788
दानवद्भिः कृतः पन्थाः.... दानमेव परं श्रेष्ठं... दानानि हि नरं पापात्...
805
781
दानेन द्विषन्तो मित्रा...
780
दानेन नश्यते पापं ...
805
दानेन नियमैश्चापि ....
19
683
744
341
691
628
798
594
477
107
732
317
857
637
112
821
831
927
863
558
929
968
261
155
720
579
852
"
दीनश्च याचते चायम्... दुःखितानां हि भूतानां.... दुर्जनस्य कुतः क्षमा.....
दुर्जनेष्वपि सत्त्वेषु....
दुर्लभं सलिलं तात ....
दुर्वाक्यं दुःसहं राजन्...
दुष्करं च रसज्ञाने....
दुष्टं हिंसायाम्...
दृढकारी मृदुर्दान्तः.... दृते दृह मा, मित्रस्य ..... देवताऽतिथिभृत्यानां.... देवता न हि गृहणन्ति..... देवत्वं सात्त्विका यान्ति... देवद्विजगुरुप्राज्ञ.... देवद्विजातिशुश्रूषा....
देवानां तु पशुः पक्षो....
देवा मनुष्याः पशवो वयांसि ..... देवि वाग् 'यत्ते मधुमत्... दैवतैः सह संहृत्य .... दैवाधीनाविति ज्ञात्वा ....
उद्धरण पृष्ठ संख्या संख्या
द्वन्द्वोपशमसीमान्तं...
द्वादशैते महादोषाः... द्वाविमौ पुरुषौ राजन्.... द्वे कर्मणी नरः कुर्वन्...
द्वेषं दम्भं च मानं च...
215
217
221
225
218
218
226
6
193
208
100
195
178
224
166
134
30
205
94
242
181
31
231
235
266
245
157
270
285
81
47
201
163
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