Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 01
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication
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उद्धरण पृष्ठ संख्या संख्या 486 137 850 241 147 43 1008 296 270 283 86
726
715
282
957 433
122
108
724
724
202
135 180
636
862
926 746
705
234
927
उद्धरण का
उद्धरण पृष्ठ प्रारम्भिक अंश संख्या संख्या क्षमा धर्मोऽह्यनुत्तमः... 682 193 क्षमाधना महाभागाः... 600 168 क्षमा धृतिरहिंसा च... 817 230 क्षमा ब्रह्म क्षमा सत्यं... 703 198 क्षमायुक्ता हि पुरुषाः... 717 201 क्षमावतामयं लोकः...
203 क्षमावतो जयो नित्यं...
200 क्षमावन्तश्च धीराश्च... 731 204 क्षमा वशीकृतिर्लोके... 699 197 क्षमावान् प्राप्पुयात् स्वर्ग... 202 क्षमावान् ब्राह्मणो देवः... क्षमा वै साधुमायाति... 944 277 क्षमा शान्तिस्तथा लज्जा... 162 क्षमा सत्यं क्षमा दानं...
198 क्षमा सत्यं दमः शौचं.... 830 क्षमाऽहिंसा क्षमा धर्मः... 681 193 क्षमा हि परमं बलम्...
195 क्षमेदशक्तः सर्वस्य... 684 193 क्षमैका शान्तिरुत्तमा... 712 क्षान्तो दान्तो जितक्रोधो... 680 क्षात्या शुद्धयन्ति विद्वांसः..... 702 197 क्षान्त्यास्पदं वै ब्राह्मण्यं... 694 19 क्षुधितं तृषितं श्रान्तं... 647 184 क्षुधितस्य द्विजस्यास्य... 741 खराश्वोष्ट्रमृगेभानाम्... 659 , 187 खादकस्य कृते जन्तून्... 434 123 गच्छन्तीह सुसन्तुष्टाः... 656 186 गजो गजेन यातव्याः... 1011 297 गर्भत्यागो भर्तृनिन्दा... 27584 गर्भपातनजा रोगा... 291 88 गवां गोष्ठे वने चाग्नेः... गवादि पिबते यस्मात्...
223 ग्रासादर्धमपि ग्रासम्... 767 215 गुरूणामवमानो हि... 394 111
उद्धरण का प्रारम्भिक अंश गुरुनतिवदेन्मत्तः... गृहस्थधर्मो नागेन्द्र... गृहागते परिष्वङ्ग... गोब्राह्मणनृपस्त्रीषु... गोब्राह्मणं न हिंस्यात्... गोहत्यां ब्रह्महत्यां च... ग्रामेषु भूपालवरो यः... घातकः खादको वापि... घृतात् स्वादीयो मधुनश्च... चतुरो वार्षिकान् मासान्... चतुर्गवं नृशंसानां... चतुर्दशो भूतगणो य एष... चतुष्पात् सकलो धर्मो... चौरग्रस्तं नृपग्रस्तं... छागेनाजेन... छित्त्वाऽधर्ममयं पाशं... जङ्गमैः स्थावरैर्वापि... जज्ञे हिंसा त्वधर्माद् वै... जनवादमृषावादः... जनस्याशयमालक्ष्य... जयो नैवोभयो दृष्टिः... जयो वैरं प्रसृजति... नरायुजाण्डजादीनां... जातवैरश्च पुरुषो... जानता तु कृतं कर्म... जायापत्ये मधुमती... जितेन्द्रियत्वं शौचत्वं.. जिह्वया अग्रे मधु... जिह्वा मे भद्रं वाङ्महो... जीवघाती गुरुद्रोही... जीवितुं यः स्वयं चेच्छेत्... जीवितुं यः स्वयं नेच्छेत्... ज्ञातिसम्बन्धिमित्राणि... ज्ञातीनां वक्तुकामानां....
690
908 928
16049
199
819
192
241
974
985 873
208
979
176
83
372
14442 170 245 853 241 572 161
विदिक ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/360

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