________________
FL听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明步步。
呢呢呢呢明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩乐听听听听听
{483} श्येनचित्रेण राजेन्द्र सोमकेन वृकेण च। रैवते रन्तिदेवेन वसुना संजयेन च।। एतैश्चान्यैश्च राजेन्द्र कृपेण भरतेन च। दुष्यन्तेन करूषेण रामालर्कनरैस्तथा॥ विरूपाश्वेन निमिना जनकेन च धीमता। ऐलेन पृथुना चैव वीरसेनेन चैव ह॥ इक्ष्वाकुणा शम्भुना च श्वेतेन सगरेण च। अजेन धुन्धुना चैव तथैव च सुबाहुना॥ हर्यश्वेन च राजेन्द्र क्षुपेण भरतेन च। एतैश्चान्यैश्च राजेन्द्र पुरा मांसं न भक्षितम्।। ब्रह्मलोके च तिष्ठन्ति ज्वलमानाः श्रियान्विताः। उपास्यमाना गन्धर्वैः स्त्रीसहस्त्रसमन्विताः॥ तदेतदुत्तमं धर्मम् , अहिंसाधर्मलक्षणम्। ये चरन्ति महात्मानो नाकपृष्ठे वसन्ति ते॥
(म.भा. 13/115/63-69) श्येनचित्र, सोमक, वृक, रैवत, रन्तिदेव, वसु, संजय, अन्यान्य नरेश, कृप, भरत, दुष्यन्त, करूष, राम, अलर्क, नर, विरूपाश्व, निमि, बुद्धिमान् जनक, पुरूरवा, पृथु, वीरसेन, म इक्ष्वाकु, शम्भु, श्वेतसागर, अज, धुन्धु, सुबाहु, हर्यश्व, क्षुप, भरत- इन सब ने तथा अन्यान्य म राजाओं ने भी भी मांस नहीं खाया था। वे सब नरेश अपनी कान्ति से प्रज्वलित होते हुए वहां ॐ ब्रह्मलोक में विराज रहे हैं, गन्धर्व उनकी उपासना करते हैं और सहस्रों दिव्यांगनाएं उन्हें
घेरे रहती हैं। अत: यह अहिंसा रूप धर्म सब धर्मों से उत्तम है। जो महात्मा इसका आचरण # करते हैं, वे स्वर्ग लोक में निवास करते हैं। हिंसक भावों की पोषकः मदिरा
{484} हृत्सु पीतासो युध्यन्ते दुर्मदासो न सुरायाम्। ऊधर्न नग्ना जरन्ते॥
(ऋ.. 8/2/12) जिस प्रकार दुष्ट मद से युक्त व्यक्ति परस्पर लड़ते हैं, उसी प्रकार दिल खोलकर शराब के * पीने वाले लोग भी परस्पर लड़ते-झगड़ते हैं तथा नङ्गों की भांति (निर्लज्ज होकर) रात भर 卐 बड़बड़ाया करते हैं।
明宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪宪、张 वैदिक/बाह्मण संस्कृति खण्ड/136
听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听形