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दया, करुणा व सौहार्द-एकार्थक
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स्वदुःखेष्विव कारुण्यं परदुःखेषु सौहृदात्। दयेति मुनयः प्राहुः साक्षाद्धर्मस्य साधनम्॥
___(कू.पु. 2/15/31; प.पु. 3/54/29) दूसरों के दुःख में अपने जैसा दुःख समझना और उनके प्रति करुणा व सौहार्द भाव प्रकट करना 'दया है, जो धर्म का साक्षात् साधन है।
दयाः ईश्वरीय स्वरूप
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{622} श्रद्धा दया तितिक्षा च क्रतवश्च हरेस्तनूः।
(भा. पु. 10/4/41) श्रद्धा, दया, तितिक्षा एवं क्रतु-(सत्कर्म)-ये भगवान् हरि के शरीर हैं।
दयाः जीव-वध से निवृत्ति
{623} परासुता क्रोधलोभादभ्यासाच्च प्रवर्तते। दयया सर्वभूतानां निर्वेदात् सा निवर्तते।
(म.भा. 12/163/9-10) क्रोध ओर लोभ से तथा उनके अभ्यास से परासुता (दूसरों के मारने की इच्छा)प्रकट क होती है। सम्पूर्ण प्रणियों के प्रति दया से और वैराग्य से वह निवृत्त होती है।
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% %%% %%%% वैदिक/बाह्मण संस्कृति खण्ड/176