________________
弱弱弱弱弱%%%%%%%%% %%%%%%%%%%%%%%%% %
तेषां संवदतामेवमृषीणां विबुधैः सह। मागांगतो नपश्रेष्ठस्तं देशं प्राप्तवान् वसुः॥ अन्तरिक्षचरः श्रीमान् समग्रबलवाहनः। तं दृष्ट्वा सहसाऽऽयान्तं वसुं ते त्वन्तरिक्षगम्॥ ऊचुर्द्विजातयो देवानेष च्छेत्स्यति संशयम्। यचा दानपतिः श्रेष्ठः सर्वभूतहितप्रियः॥ कथंस्विदन्यथा ब्रूयादेष वाक्यं महान् वसुः। एवं ते संविदं कृत्वा विबुधा ऋषयस्तथा। अपृच्छन् सहिताभ्येत्य वसं राजानमन्तिकात्। भो राजन् केन यष्टव्यमजेनाहोस्विदौषधैः॥ एतन्नः संशयं छिन्धि प्रमाणं नो भवान्मतः।
(म.भा. 12/337/6-11) इस प्रकार जब ऋषियों का देवताओं के साथ संवाद चल रहा था, उसी समय # नृपश्रेष्ठ वसु भी उस मार्ग से आ निकले और उस स्थान पर पहुंच गये। श्रीमान् राजा
उपरिचर वसु अपनी सेना और वाहनों के साथ आकाश मार्ग से चलते थे।उन अन्तरिक्षचारी
वसु को सहसा आते देख ब्रह्मर्षियों ने देवताओं से कहा- ये नरेश हम लोगों का संदेह दूर # कर देंगे, क्योंकि ये यज्ञ करने वाले, दानपति, श्रेष्ठ तथा सम्पूर्ण भूतों के हितैषी एवं प्रिय हैं।
ये महान् पुरुष वसु शास्त्र के विपरीत वचन कैसे कह सकते हैं? ऐसी सम्मति करके ॐ देवताओं और ऋषियों ने एक साथ राजा वसु के पास आकर अपना प्रश्न उपस्थित किया:
राजन्! किसके द्वारा यज्ञ करना चाहिये? बकरे के द्वारा अथवा अन्न द्वारा? हमारे इस संदेह का आप निवारण करें। हम लोगों की राय में आप ही प्रामाणिक व्यक्ति हैं।
呢呢呢呢呢呢呢呢巩巩巩巩巩%¥¥¥¥¥听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听
स तान् कृताञ्जलिभूत्वा परिपप्रच्छ वै वसुः॥ कस्य वै को मतः कामो बूत सत्यं द्विजोत्तमाः। धान्यैर्यष्टव्यमित्येव पक्षोऽस्माकं नराधिप। देवानां तु पशुः पक्षो मतो राजन् वदस्व नः। देवानां तु मतं ज्ञात्वा वसुना पक्षसंश्रयात्॥ छागेनाजेन यष्टव्यमेवमुक्तं - वचस्तदा।
(म.भा. 12/337/11-14) तब राजा वसु ने हाथ जोड़ कर उन सब से पूछा-विप्रवरों ! आपलोग सच-सच म बताइये, आप लोगों में से किस पक्ष को कौन-सा मत अभीष्ट है? कौन 'अज' का अर्थ )
बकरा मानता है और कौन अन्न? (ऋषियों ने कहा-) हम लोगों का पक्ष यह है कि अन्न से 卐 यज्ञ करना चाहिये तथा देवताओं का पक्ष यह है कि छाग नामक पशु के द्वारा यज्ञ होना
男男男男骗骗骗骗骗骗骗骗骗骗男男男男明明明明明明明明勇勇男男男男男男、 विदिक ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/266